सोमवार, 11 मई 2020

कोरोना का इलाज आयुर्वेद में ।

आज जब विश्व कोविड19 से लड़ रहा है और इस लड़ाई में भारत विश्व गुरु के रूप में उभर रहा है। भारतीय संस्कृति का अनुसरण करने को विश्व की महाशक्तियां विवश नहीं।
भारतीय चिकित्सा पद्यति को विश्व की प्राचीन चिकित्सा पद्यति माना गया है। यजुर्वेद में वर्णित चिकित्सा पद्यति का अनुसरण कर मानव अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बड़ा सकता है जिससे कोरोना जैसे रोगों से भी जीता जा सकेगा। 
भारत सरकार बड़े पैमाने पर इसका प्रचार प्रसार कर रही है।
सभी असाध्य रोगों का इलाज हमारे वेदों में छुपा है।


आयुष मंत्रालय लगातार रोगों से लड़ने की क्षमता में सुधार करने हेतु आवश्यक दवाओं का प्रचार प्रसार कर रहा है आम जन्मानस तक यह जड़ी बूटियों के प्रयोग की विधि पहुंचे इस कार्य को हम सब को करना चाहिए।
कोरोना कोई असाध्य रोग नही है परंतु रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर घातक हो सकता है। आप देख ही रहे हैं इससे मारने वालो का आंकड़ा काफी कम है। अनेक मामलों में बुजुर्ग भी इस भयानक रोग को मात देकर वापस आये हैं







अन्य प्रमाणित जानकारी को ही साझा करें कोई भ्रामक खबरें ना फैलाएं।प्रयास रहे कोरोना से बचाव एवम उससे जितने के लिए आवश्य उपाय हर व्यक्ति तक पहुंचाना आवश्यक। सभी नागरिकों को जागरूक करें और इस जागरूकता अभियान में सहयोगी बने।
जय हिंद जय भारत । वन्दे मातरम। 


सरकार ने अन्य प्रांतों में फसे लोगो को पहुंचाने के लिए शुरू की रेल सेवाएं

सरकार ने अन्य प्रान्तो में फसे लोगो को घर पहुंचाने हेतु रेल सेवाएं शुरू की हैं।
बुकिंग शुरू होने से पहले ही बुकिंग पूरी हुई। यानी सभी बुकिंग पूरी हो चुकीं अब भी अनेक लोग अपने अपने घर जाने को परेशान हैं।
17 मई तक की बुकिंग पूरी हो गईं हैं।

सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनोती है । कोविड19 लगातार पूरे विश्व मे अपने पैर पसार रहा है और इसका इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। यह ऐसी भयावह स्थिति की ओर इंगित करता है जिसका सामना सभी को करना ही है। सरकार भरसक प्रयास में है । भारत मे कोरोना संक्रमण के फैलने की गति धीमी सरकार के अथक प्रयासों से हुई है । अन्यथा अब तक तबाही मच चुकी होती।
परन्तु इस उहा पोह में गरीबो की हालत और बिगड़ती जा रही है। नोकरी करने वाले आम लोग बेहद परेशानी का सामना कर रहे हैं अन्य प्रांतों में किराए पर राह छोटी नोकरी कर अपना जीवन यापन करने वाले लोगो के साथ बेहद ना इंसाफ हो रही है । मकान मालिक अपने किराए के लिए परेशान हैं दूसरी तरफ जहां काम करते थे वहां सेलरी भी रोकी हुई है इसके बाद लोक डाउन में कोउ सहयोग कहीं से मिलने के सारे रास्ते बंद हैं गाडिब मजदूर और मजबूर जाए तो जाए कहां।

ऐसे में जो लोग वेतन रोक के पड़े हुए हैं उनके अंदर का मनुष्य मार चुका है। सरकार को इनपर सख्त एक्शन लेना होगा। इसके लिए हेल्पलाइन को सक्रिय रखना होगा एक्शन मोड़ में रखना होगा। ऐसे मानवता के दुश्मनों को दंडित अवश्य करना चाहिए।


एक तरफ लोग इस संकट के समय मे दोनो हाथों से दान देकर लोगों के सहयोग में लगे हुए हैं । बहुत सारे कोरोना योद्धा अपनी जान दाव पर लगाकर लोगों के जीवन को बचाने में लगे हैं । दूसरी तरफ कुछ ऐसी प्रवृति के लोग हैं जो लोगों के मेहनत के पैसे को भी देने में ना नुकुर कर रहे हैं। यदि सक्षम होते हुए भी ऐसी स्थिति में इस प्रकार शोषण करे तो उसे दण्डित करना आवश्यक हो जाता है।


सरकार के प्रधानमंत्री एवम मुख्यमंत्री जिस मंशा के साथ कार्य कर रहे हैं सरकार के अफसरों को उसी मंशा के साथ कार्य करना चाहिए। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत कम उच्च अधिकारी इतनी गंभीरता से जनता की समस्याओं को समझने और उन्हें निपटाने पर विचार कर रहे हैं जो हेल्प लाइन नम्बर दिए जा रहे हैं उनसे कोई सन्तोष जनक जबाब नही मिल रहा है। 


आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।सरकार की दोहरी नीति भी कहीं कहीं नजर आ रही है अमीर लोगों को विदेशो से भी बुलाया जा रहा है और गरीबो को आप के घर पहुंचाने में विलंब किया जा रहा है समुचित व्यवस्थाएं नही की जा रहीं। 
यहां हमने दोनों पक्ष रखने का प्रयास किया है जिस स्थिति से लोग गुजर रहे हैं वह भी हमने प्रदर्शित किया है। आपके सुझाव भी आमंत्रित हैं।



रविवार, 10 मई 2020

क्या अब लॉक डाउन खुलने वाला है

        वर्तमान हालात बता रहे हैं 4-5 दिन के लिए लॉक डाउन खुलने जा रहा है। बीते कुछ दिनों में कोरोना का प्रभाव देश मे बढ़ता जा रहा है सरकारें भी आंकड़ो को दबाने लगी है। यह लोक डाउन ग़रीब लोगो को मजदूरों को अपने घरों पर पहुंचाने के लिए किया जा रहा है आने वाले समय मे स्थिति के भयानक होने की संभावना है।

      खैर जैसा कि आपको पहले ही बताया जा चुका है विश्व को कोरोना के साथ रहना होगा। सावधानियां रखनी होगी इम्युनिटी बढ़ानी होगी बस इस महामारी से बचने का यही रास्ता है। तैयारी पूर्ण करलें लोक डाउन को बढ़ाया भी जा सकता है। साथ ही धीरे धीरे काम शुरू भी किये जा सकते हैं। हर हालात से निपटने को तैयार रहें विश्व पर कोरोना वायरस भारी पड़ रहा है। निश्चित रूप से यह महामारी विशेष तबाही मचा सकती है ।

    ऐसे  संकट के समय मे अपनो का ख्याल रखें । जिसकी जो सहायता बन पड़े करें। कभी भी किसी को कुछ भी हो सकता है। यह पोस्ट डराने के लिए नही सावधान करने को की जा रही है। डरने से समस्या का समाधान नही होता। समस्या से निपटने की तैयारी आवश्यक हैं। वैसे भी यह शरीर नश्वर है ईश्वर जो करता है वही होता है । हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक मनुष्य का भाग्य जन्म के 6वे दिन ही भयमता लिख देती हैं।
कब क्या घटित होना है।


    डरने घबराने की आवश्यकता नही है सिर्फ तैयार रहने की आवश्यकता है खुद को मजबूत करें। सारी व्यवस्थाएं रखें यदि लोक डाउन रहता है तो आपको समस्याओं का सामना न करना पड़े ।
कोरोना के साथ जीने के लिए पूर्व में दी गयी जानकारी का अनुसरण करें।

घर पर रहें सरकारी आदेशो का पालन करें।लापरवाह ना रहें सावधानी बरतें।

हम जीतेंगे तो देश जीतेगा।

गरीबों के सहयोग के लिए आगे आएं। संस्था का सहयोग करें।
गूगल पे करें।
पेटीएम

8868890689

आवश्यक टिप्पड़ी अवश्य करें।



कलयुग में हंस चुगेगा दाना पानी कौवा मोती खायेगा।

रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना पानी कौवा मोती खायेगा।

         यह कहावत चरित्रार्थ हो रही है। आज शराब के ठेके जल्दी खोले गए । शिक्षा के मंदिर और धार्मिक स्थल सब बंद हैं। यह कलयुग का ही प्रभाव तो है। देश को कमजोर करने में शराब गुटखा आदि का बहुत बड़ा हाथ है। नशे की हालत में ही अधिकतर अपराध होते हैं नशे की लत के कारण ही अधिकतर आपराधिक वारदातों को अंजाम भी दिया जाता है । यही कारण है नशा करने वाले लोग कराने वाले लोग ही आज के समय मे सफल  हैं कहते है जो काम 50 हज़ार की रिश्वत में होता है वह एक दारू पार्टी कर देती है। यह कल्पना नहीं है यह यथार्थ है।

गुटखा बीड़ी सिगरेट शराब से ही दोस्ती पक्की होती है यह प्रचलन सभी जगह देखा जा रहा है। 

अपने जीवन मे ने इन चीजों से दूरी बना कर रखी और इसके विरुद्ध अभियान भी जारी रखा । परिणाम वही है दूध बेच के वाले को घर घर जाना पड़ता है और शराब बेचने वाले की दुकान से लाइन खत्म नहीं होती।
यही सच्चाई है ।

     हाँ यह भी सत्य है इस कलयुग में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने इन सभी नशीली वस्तुओ से दूरी बनाई हुई है परंतु व्यवसायी वर्ग इन चीजों के बिना आगे बढ़ने में सफल नही हुआ होगा। 

यह भी सत्य है इस कलयुग में लोग अच्छे विचार धारा के ईमानदार प्रवृति के भी हैं। परंतु अधिकतर लोग अपनी ईमानदारी सिर्फ पैसे के लेन देन की ईमानदारी से तोलते हैं।

पैसे के लेन देन के अलावा यह देखें कि आप हृदय से कितने मानवीय हैं । आपके अंदर की मनुष्यता खत्म तो नहीं हो गयी । अपने अवगुणों को ढक कर दूसरे की गलतियों का बखान कर झुटा दिखावा तो नहीं कर रहे आप। खुद के कर्मो को देखें जीवन मे कितनो का भला किया है आपने । अपनी जान पर खेल कर कितनो की जान बचाई है।

कितने लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में कार्य किया है। परंतु शायद यह सब बातें व्यर्थ लग रहीं होंगी। क्योंकि अर्थ का जमाना है अर्थ यानी धन । धन ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है धन है तो संबंध अच्छे बने रहते हैं धन ही संबंध बिगाड़ता है।शायद आज मानवता का कोई मोल नही हैं । जो धन धान्य है वही महान है। 
 
भले ही धन संपदा से परिपूर्ण होते हुए भी वह आपकी मदद ना करे भले ही आपके फोन करने पर आपके मुसीबत में साथ ना दे परंतु वह धन संपदा से परिपूर्ण है वह सफल है आप नतमस्तक हैं । 
     मनुष्य का जन्म आपको मिला है तो आप उसका सही उपयोग कर पाए या । जानवरो की तरह सिर्फ अपना और अपने बच्चो का पेट भर कर जीवन निकाल दिया।
   लोगो को दिखाने के लिए बड़ी बड़ी धार्मिक सत्य असत्य की बातें की । पलटते ही फिर उसी योजना में लग गए कि और धन कहा से निकाला जाए। जिससे बेटे के लिए एक फ्लैट और लिया जाए। 
      समाज  में जो सबसे ज्यादा छल कपटी है वही आगे है। षड्यंत्र कारी यूं तो हर युग मे रहे है अपने षडयंत्रो से भले लोगो को लूटते खसूटते आये हैं और सत्यवादी हरिश्चंद जैसे लोग दुख भोगते रहे हैं । राजा हरिश्चन्द्र को तो राज पाठ वापस मिल गया था परंतु यहां बहुत सारे लोग ऐसे है जिन्हें न्याय नहीं मिल पाता । जलन द्वेष भाव रखने वाले घातक लोगो को भांप कर समय रहते उनका इलाज ना किया जाए तो ऐसे लोग घातक सिध्द होते हैं। समाज को दिखावे का ढोंग करते हुए यह लोग ऐसे परजीवी होते है हमेशा दूसरों पर ही जीवित रहते हैं दुसरो की बनाई धन संपदा को हड़पने का षड्यंत्र करते हैं ।

      कुल मिला कर आप अपने आसपास नजर डालिए जो जितना छल कपटी और बेईमान होगा वही इस कलयुग में चमक रहा होगा। ईमानदारी के दम पर बहुत कम लोग ही आगे बढ़ पा रहे हैं। यह बात अलग है लोग आत्मसंतुष्ट हैं। 

      कलयुग में पैसा ही सब कुछ है जिसके पास पैसा है उसके कर्म कैसे भी हों कोई उसपर उंगली नहीं उठा सकता । जो निर्धन है उसे बात बात पर ताने और घृणा का शिकार होना ही पड़ेगा। 

किसी के बारे में अपनी राय गलत बना लेने से पहले उस व्यक्ति का पक्ष सुनना भी जरूरी है । तब ही भले लोगो को षड्यंत्रों का शिकार बनाने वाले कलयुगी खूनी रिस्तेदारो की नीयत से पर्दा उठ सकेगा।

     हमने पिछले कुछ समय मे ऐसी अनेक परिवार सहित आत्महत्या की घटनाये देखी व सुनी है जिसमे परिवार के ही मुखिया ने अपने नन्हे बच्चो एवम पत्नी को जहर दे कर स्वयम भी आत्महत्या करली जिसके पीछे की वजह उनके रिस्तेदार और विशेषकर उनके भाई आदि द्वारा रचे गए षड्यंत्र रहे हैं।

मित्रो कमजोर लोगो की कोई नही सुनता जानते समझते हुए भी लोग सत्य का साथ नही दे पाते जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं लोगो को आत्महत्या का रास्ता ही चुनना पड़ता है।

    यह देखा गया है रिस्तेदार और पहचान के लोग जब तक व्यक्ति जीवित रहता है तब तक उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ पाते और ना ही किसी प्रकार की सहानुभूति या उसे बचाने का प्रयास कर पाते। जब यह घटनाये घटित हो जाती है तो जान पहचान के लोग शोक व्यक्त करते हुए यह भी सोचते हैं और बोलते हैं कि काश हमने उसकी बात सुनी होती समझी होती। हम उसे बचा लेते उसे यह कदम नही उठाना चाहिए था वह हमें बताता । 

        अपने लोगो की स्थिति परिस्थिति समझते हुए यथा संभव सहायता करनी चाहिए इसके लिए यह इंतज़ार कदापि नहीं करना चाहिए कि वह आपसे अपनी पीड़ा कहे या सहयोग मांगे तब ही आप उसके लिए कुछ सोचेंगे । कुछ बातें खुद भी समझनी चाहिए।

जो ऐसे आत्मघाती कदम उठाते हैं उनसे मेरा एक आग्रह है ऐसे षडयंत्रकारियो का षड्यंत्र सफल नही होने देना चाहिए । जीवन मे घबराना नहीं चाहिए कितने भी बुरे दिन हों। उनका डट कर मुकाबला करें। 

       हमने तो एक विशेष अभियान भी चलाया हुआ है अन्याय अत्याचार भरष्टाचार से जंग राष्ट्रीय जागरूक युवा संगठन भारत। हम सकारत्मकता के साथी हैं नकारत्मकता को खत्म ही नही करते वरन पूर्ण प्रयास यह होता है कि किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो न्याय अवश्य मिले उसके लिए हर संभव सहयोग भी करते हैं। 

    यह बात अलग है कि हम भी पिछले 12 वर्षों से ऐसे ही षड्यंत्र के शिकार हैं जिसका पता हमे 2 वर्ष पहले ही लगा है और इसी कारण हम अपने इस मिशन को आगे बढ़ाने में उतने सफल ना होपाये जो हो सकते थे।
एक तरफ देश दुनिया मे बुद्धिजीवियों को जोड़कर शक्तिशाली सन्गठन तैयार कर रहे थे युवाओ को जागरूक कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ मन में द्वेष भाव पाले यह खूनी रिस्ते हमें नष्ट करने का ताना बाना बुन रहे थे । कहीं ना कहीं हमे इसका आभास था परंतु हम अपने सकारत्मक रवैये से अब तक लड़ते रहे। 

     इस समय यह खून के रिस्ते कहे जाने वाले लोग हमारे खिलाफ चलाये जा रहे विशेष अभियान में सफल होते नजर आ रहे हैं। 

अरे मूर्खो 
  जाको राखे साइयां मार सके ना कोई
बाल ना बांका कर सके जो जग बैरी होय।

हां माना कलयुग है और अधिकतर हंस दाना ही चुग रहे है कौवा मोती खा रहे हैं 
हंस फिर भी हंस ही कहलाता है कौवा कितना भी मोती खाले वह कौवा ही रहता है। 

हम लड़ेंगे आखिरी सांस तक लड़ेंगे। दोषियों को दंड भी देंगे। न्याय भी प्राप्त करेंगे। अब तक का जीवन अपनो के लिए लड़े हैं अब अपने लिए भी लड लेंगे।

लड़ाई कानूनी होगी और ऐसी होगी कि एक मिसाल बनेगी पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी। 





मंगलवार, 5 मई 2020

डॉ विश्वरूप राय चौधरी गलत है या सही क्या कोविड19 डर का व्यापार है?



स्व0#डॉ0राजीव_दीक्षित जी

आजकल आप सुन रहे हैं कोरोना महामारी से पूरा विश्व परेशान है एक तरफ  एक- दो डाक्टर इन चीजों पर से पर्दा उठाना चाहते हैं उनका कहना है, उन्होनेसच बोलने की हिम्मत की है वे कह रहे हैं कि कोरोना कोई महामारी नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ फार्मास्यूटिकल कंपनीज का बहुत बड़ा षड्यंत्र है यह डर का व्यापार है । WHO वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन भी इस सब मे संलिप्त रहता है यह गंभीर आरोप हैं और इस पर आप देख ही रहे हैं कि संदेह तो अन्य देश भी कर रहे हैं ।
जी हां आपने सही सुना यह डर का व्यापार है न्यूज़ चैनल्स के माध्यम से मीडिया के माध्यम से इस डर को फैलाया जाता है इसी प्रकार सन 1990 में भी इस डर को फैलाया गया था एचआईवी बीमारी के रूप में समय-समय पर इस तरह के नए-नए रोगों के बारे में जानकारी देकर यह दर्शाया जाता है । जिससे के फार्मास्यूटिकल कंपनीज को अरबों का उलटफेर हो जाता है एक बहुत बड़ी स्ट्रांग लॉबी है जो किसी देश को भी नहीं बख्शते यह लोग इतने ताकतवर हैं अमेरिका और ब्रिटेन हो या इटली हो ईरान और इराक हो या इंडिया हो सब को अपनी मुट्ठी में रखते हैं। हर व्यक्ति को अपनी मृत्यु का भय होता है उसी भय को यह भुनाते हैं, है ना कमाल की बात यह बात रख रहे हैं डॉ बिस्वरूप रॉय चौधुरी जी हां आप इसके बारे में पड़ सकते हैं सुन सकते हैं उनके खुद के यू ट्यूब चेनल हैं और  जो लोग राजीव दीक्षित जी के फैन हैं उन्हें विश्वरूप राय चौधरी को आज का राजीव दीक्षित ही कह रहे हैं उनका अक्स देखा जा रहा है राजीव दीक्षित जी का विश्वरूप राय चौधरी की जैसी विचार धारा है और यदि आप इसे देखें विचार करें ऐसा भी हो सकता है कोरोना कोविड 19  कुछ  नहीं है यह सिर्फ डर का व्यवसाय है आने वाले समय में आप देखेंगे कि वरना के  साथ साथ पूरा  विश्व जिएगा जिनकी इम्यूनिटी पावर कम होगी वह जंग हार जाएंगे और मृत्यु उन्हें गले लगा लेगी और जिनकी इम्युनिटी सही होगी वह जीत जाएंगे। कोरोना कोई असर नहीं कर सकेगा ।
 अगर आपको कोरोना से लड़ना है अपनी इम्युनिटी पावर स्ट्रांग रखनी होगी इसके लिए क्या करना होगा हम पिछले ब्लॉग में बता चुके हैं उचित आहार-विहार आपको इस महामारी नामक बीमारी से बचा सकता है।  क्यों बात बरसों पहले भाई राजीव राजीव दीक्षित जी ने कही थी वह बात सत्य होती नजर आ रही है जो लोग भाई राजीव दीक्षित जी के थन थे वह इस बात को मान रहे हैं और हमें भी यह सच लग रहा है हम सरकार के आदेशों के साथ हैं संपूर्ण लॉक डाउन का पालन करते हैं कर रहे हैं आगे भी जो आदेश होंगे उनका पालन करेंगे लेकिन डॉ विश्वरूप राय चौधरी के विचारों पर मंथन भी अवश्य करेंगे और यह मंथन सरकार को भी करना होगा और आपको भी क्या डॉक्टर साहब सही बोल रहे हैं या सच में कोरोना एक महामारी है यदि है एक महामारी है तो इसका असर इतना ताकतवर नहीं है।


यह भी बताया जा रहा है कि प्रिंस चार्ल्स भी कोरोना पोजिटिव पाए गए और उनका इलाज बैंगलोर के dr. methew ने किया है वह इलाज होमियोपैथी चिकित्सा पद्यति से किया गया है। बताया जाता है कि प्रिंस चार्ल्स होम्योपैथी चिकित्सा संस्थान के संरक्षक रहे हैं और वर्षो से इसी पद्यति से अपना और परिवार का इलाज कराते आये हैं।

है यूरोपीय देशों में मृत्युदर ज्यादा है इसका कारण है कि उनकी इम्युनिटी पॉवर कमजोर होती है। वहां पर पानी ज्यादातर ब्रिसलरी का पीया जाता है जंक फूड का प्रचलन है साथ ही अधिकतर लोग फ्रीज किया हुआ पैक्ड खाना खाते है । 

हमारे पूर्वजों द्वारा जड़ी बूटियों से ही असाध्य रोगों का सफल इलाज ढूंढ लिया था । देश की संस्कृति और सभ्यता ऋषि मुनियों की तपस्या यूँही व्यर्थ नहीं गयी पूर्व में हमारा देश सम्पन्न ही था चिकित्सा पद्यति सर्वश्रेष्ठ थी परंतु जल्द इलाज के चक्कर मे आयुर्वेद को छोड़ सबनेएलोपैथी की तरफ रुझान किया हुआ है । आयुर्वेद में बीमारियों का इलाज जड़ से खत्म करने वाला है। आप और हम सब जानते हैं । 

भारतीय पौष्टिक आहार लेते हैं जो नहीं लेते जो उव्हित आहार विहार का ख्याल नही रखते उन्हें वैसे भी बहुत अधिक बीमारियां हो जाती है वह कोरोना की तरह ही मृत्यु की तरफ ले जाती हैं।

परंतु बस लक्षण अलग होते हैं । एक बार बिस्वरूप रॉय चौधरी के विचार सुनिए और कमेंट में बताए । आपके विचार क्या हैं।

#dr_vishwroop_roy_chowdhary
#drvishwrooproychowdhary
#corona
#covid19
#Rajeevdixit

हिंदुस्तानी हो तो पूरी तरह हिंदुस्तानी बनो।

मित्रो
जैसा कि अब हम देख रहे हैं  कोरोना संकट में देश को बहुत आर्थिक क्षति हुई है । अब तक आपने हमने सबने मिलकर इस जंग को लड़ा है। यह सत्य है सिर्फ अपना बचाव किया है , यदि समझना चाह रहे हो तो यह समझ ही गए होंगे कि यह सब चीन ने पूरे विश्व पर राज करनेको जैविक हथियार का प्रयोग किया है । जिससे पूरा विश्व संकट में है।
अब के अपने देश को मजबूत करने के लिए चीनी में निर्मित सभी सामान का बहिष्कार करना है। स्वदेशी अपना है । बहिष्कार तो बहिष्कार ऐसा नही होना चाहिए कि मैं यहां आपसे बहिष्कार के लिए बोलू और वहां जाकर बाजार से चीन का समान जैसे मोबाइल या बच्चो के खिलौने उठा लाऊं । चाइना की एप का भी बहिष्कार हो टिकटोक जैसी एप की जगह भारत निर्मित एप का उपयोग किया जाना चाहिए । 
यानी सभी मिलकर इस प्रकार का स्वदेशी अभियान चलाए देश के आर्थिक हालात 1 वर्ष में ही सुधर जाएंगे ।
तो आज से अभी से शुरू हो जाइए। स्वदेशी अभियान ।
पोस्ट को शेयर कीजिये।

वाट्स एप के स्थान पर टेलीग्राम का उपयोग कीजिये यह एप भारतीय है और वाट्स एप से बहुत अच्छी है इसे उपयोग कीजिये । वाट्स एप्प में जो ग्रुप 256 का होता है यहां उसी प्रकार के ग्रुप में 2 लाख लोगों को एड किया जा सकता है।

तो फिर क्यों ना शुरू किया जाए आज से ही।

राष्ट्रीय जागरूक युवा संगठन भारत आप सभी से अपील करता है स्वदेशी अपनाइए , यह आवाज हमारी ही नहीं आपकी भी है, आपके हृदय की है और इस हृदय की आवाज का पालन अभी से कीजिये। 
नीचे दिए गए लिंक से आज ही शुरू कीजिए या 
गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड करें।

भारत  माता की जय। जय हिंद जय भारत । वन्दे मातरम।
https://telegram.org/dl
Hey, I'm using Telegram to chat. Join me! Download it here: https://telegram.org/dl


उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए खुशखबरी।

 
यदि आप उत्तर प्रदेश के निवासी हैं तो आपके लिए खुशखबरी हो सकती है आप या आपके स्वजन  उत्तर प्रदेश के निवासी अन्य प्रांतों में फसे है उनके लिए योगी सरकार घर पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर रही है ।

कोरोना महामारी के संकट से निपटने को सरकार द्वारा जो लॉक डाउन किया गया था उसकी वजह से काम काज ठप्प पड़ गया और गरीब लोग पिछले 1माह से भी ज्यादा समय से अन्य प्रांतों एवम अन्य जनपदों में फस गए थे। अनेक प्रयास करने पर भी अपने गृह जनपद नही जा पा रहे थे पूरे देश मे लगे कर्फ्यू के कारण अपने निवास स्थामनो से निकलने में खासी परेशानी थी और ईमानदारी से देश के लिए लॉक डाउन का पालन भी करना आवश्यक हो गया था। 

अब सरकार ने घर पहुंचाने के लिए कमर कस ली है यह कार्य तेजी से प्रारम्भ किया जा रहा है। इसलिए बना देर किए अपना पंजीकरण करा लें।

इच्छुक व्यक्ति नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके अपना विवरण दें । कोई समस्या हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करें। यथा संभव सहायता की जाएगी।


दिल्ली में फसे गरीब मजदूरों के लिए सरकार की योजना।

दिल्ली में फसे गरीब लोगों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा *राशन लेने के लिए कूपन योजना*
टेंपररी राशन के लिए आसान फ़ॉर्म अपलोड कर दिया गया है. यह बेहद आसान है।
बार बार काफी लोगो की शिकायत आ रही थी कि राशन लेने के लिए आवेदन करने में काफी कठिनाई हो रही है इसके लिए दिल्ली सरकार ने अब इसको बहुत आसान बना दिया है अब आपको अपने फ़ोन से कूपन के लिए आवेदन करना होगा कूपन मिलने के बाद नजदीकी सरकारी स्कूल से आपको 1 महीने का राशन मिल जाएगा।

*राशन कूपन कैसे मिलेगा*

राशन कूपन लेने के लिए इस लिंक को खोले https://ration.jantasamvad.org/ration/  और अपना सही मोबाइल नंबर तथा आधार नंबर डाल कर आवेदन करे।

*लोगो की मदद कैसे करे*

यदि आपके पास कोई भी राशन मांगने की दरख्वास्त करता है तो उसको कूपन दिलाने के लिए अपने या उसके फ़ोन से आवेदन करके मदद करे और ज्यादा से ज्यादा यह संदेश लोगो तक पहुँचाये ताकि जरूरत मंद की ऐसे समय मे मदद हो सके।
धन्यवाद
*राजेश ऋषि*
*सेवक जनकपुरी*

अधिक से अधिक शेयर करें । राष्ट्रीय जागरूक युवा संगठन भारत को जॉइन करें । 
दिल्ली में रह रहे गरीब मजदूरों को सरकारी सहायता प्राप्त हो सके।

राष्ट्रीय जागरूक युवा संगठन भारत एक गैर राजनीतिक संगठन है यह किसी पार्टी का अनुसरण नही करता सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र नागरिको तक पहुंचाने का प्रयास करता है। आप भी सहयोगी बनें। धन्यवाद।

सोमवार, 4 मई 2020

#स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या11 वां अध्याय_( विवाह पद्धति के लाभ

#स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या
11 वां अध्याय_( विवाह पद्धति के लाभ
               लेेेखक: दीपिका महेश्व्वरी, 


#विवाह_पद्धति_के_लाभ

आज आपके सामने विवाह पद्धति के लाभ बताने से पहले मैं एक ऐसे विषय पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हूं, जो सबसे अहम होते हुए भी हीन दृष्टि में केंद्रित हो गया है सिर्फ और सिर्फ विवाह पद्धति के कमजोर पहलू की वजह से। यह विषय कल चलती हुई चर्चा के दौरान मेरे दिमाग में केंद्रित हुआ। यह विषय है वन नाइट स्टैंड इस विषय को सुनते ही सब लोगों की आंखें चौड़ी हो गई होगी कि दीपिका महेश्वरी ने आज यह क्या लिख दिया? कुछ लोग बेहद मुस्कुराए होंगे! कुछ लोग ने नाक सिकोड़ लिया होगा! परंतु उनमें से किसी को भी यह पता नहीं है कि आखिर वन नाइट स्टैंड प्रक्रिया क्या है? इसलिए सभी से गुजारिश है कि लेख को पूरा पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दें।

वन नाइट स्टैंड प्रक्रिया मानव विस्तार की कड़ी में अहम प्रक्रिया है जिसके बिना मानव विस्तार संभव नहीं सामान्य तौर पर हालांकि आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन और स्पर्म बैंक इसके ऑप्शनल जरिए हैं परंतु इसके महत्व और जरूरत को दरकिनार नहीं किया जा सकता हालांकि विवाह पद्धति के कमजोर पहलुओं ने इसे हीन दृष्टि में खड़ा कर दिया है परंतु फिर भी इसका महत्व कम नहीं हुआ आज हमारी विवाह पद्धति के अनुसार हिंदुओं में हुए सभी विवाह खंडित हैं जिस कारण इस प्रक्रिया से गुजरने वाले सभी शादीशुदा जोड़े अनैतिक संबंधों के द्वार पर खड़े हो गए हैं।

 इस भयानक सत्य को जानने के बाद हम ज्यादा अच्छी तरह विवाह पद्धति के लाभ को जान सकेंगे हमारी विवाह पद्धति में मंत्रों द्वारा शुद्धीकरण कर हिंदू धर्म में समाहित सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद दिलाने के पश्चात जोड़े को इस प्रक्रिया में जाने की इजाजत दी जाती है ताकि वह इस प्रक्रिया में आजीवन संगलन रहने के बाद भी हर प्रकार के संक्रमण से दूर रहें इस प्रक्रिया में जो वायरस उत्पन्न होते हैं उन्होंने इस प्रक्रिया को दो वर्गों में बांट दिया है जंक फूड और घरेलू खाना भूख किस प्रकार की भी हो भारतीय सभ्यता में घर का खाना प्रमुख पायदान पर आता है हमारी विवाह पद्धति में शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने की शुरूवात भी वेद मंत्रों के उच्चारण से होती है ताकि आजीवन होने वाले संक्रमण से सुरक्षित रहें यह विवाह पद्धति का सबसे महत्वपूर्ण लाभ है इसलिए भी विवाह पद्धति की अहमियत उसकी वचनों की अहमियत कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है आप सभी के जीवन की सुरक्षा के लिए इसलिए सभी संक्रमण से सुरक्षित अपनी पत्नी जो आपको काम सुख प्रदान करती है उसकी तपस्या कीजिए साधना कीजिए उसके सम्मान को सर्वोपरि मानिए ताकि आप सुरक्षित और लंबा जीवन बिना किसी दिक्कत के जी सकें।

स्त्री मनोविज्ञान का सबसे अहम पहलू स्त्री कभी भी किसी से शारीरिक प्रेम नहीं करती इसलिए वह शारीरिक प्रेम के लिए पहल भी नहीं करती। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्त्री को पता है कि स्त्री का जन्म मानव विस्तार के लिए हुआ है और मानव विस्तार की श्रंखला में सबसे पहली कड़ी शारीरिक मिलन है, इसलिए शारीरिक मिलन उसके लिए प्रेम नहीं है उस के जन्म के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उसकी प्रमुख जरूरत है। इसलिए वह स्त्री तंत्र के हिसाब से अपनी सोच को विस्तृत कर अपना जीवन यापन करती है।
बालिका से संपूर्ण नारी बने तक उसे इस बात का भान हो जाता है कि उसका जन्म किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हुआ है और मानवता के विकास और विस्तार के लिए वह जिस किसी पुरुष को अपने लिए उपर्युक्त समझती है उसका समर्पण स्वीकार करती है यह स्त्री तंत्र की व्याख्या है जिस पुरुष प्रधान समाज अपने वर्चस्व के लिए तहस-नहस कर दिया और उस पर अपने अनुसार कानून बना पर अपने ही अनुसार चलने के लिए मजबूर कर दिया इसीलिए ही स्त्रियों की आज यह हालत है अगर हमने इस पर ध्यान नहीं दिया तब विनाश मुँहबाय आपकी आंखों के सामने खड़ा है आप खुद सोच हैं कि इसका परिणाम कितना भयानक होगा?

प्रकृति स्त्री रूप है, जिसमें गर्भ समाहित होता है इसलिए स्त्री में भी गर्भ समाहित है फिर भी विद्वान हिरण्यगर्भ करके पुरुष तत्व मानते हैं और पुरुष का वर्चस्व दिखाते हैं जबकि प्रकृति साफ-साफ संदेश देती है कि स्त्री रूप को मानव विस्तार का कार्यभार सौंपा है इसके लिए वह जिस पुरुष को चुनती है उसे अपना संरक्षक नियुक्त करती है और संरक्षक का कर्तव्य है बिना स्त्री के जीवन में उथल-पुथल मचाए उसकी रक्षा करना लेकिन पुरुष प्रधान समाज में सब कुछ उल्टा हो रहा है सब कुछ जो विनाश की तरफ ले जा रहा है प्रकृति में पिता तत्व नहीं फिर भी मानव योनि में पिता तत्व का इतना बड़ा महत्व जिसके नीचे स्त्री तत्व को इतना हीन कर दिया की माता तत्व का भी महत्व खत्म हो गया इसे ठीक करने के लिए स्त्री तंत्र की व्याख्या पढ़ना बेहद जरूरी है यदि विनाश को रोकना चाहते हैं तब।

हमारे वास्तविक हिंदू धर्म में नारी सर्वोपरि है परंतु आज के हिंदू धर्म में इसे किताब ज्ञान की तरह फॉरवर्ड किया जाता है। आज हकीकत यह है कि पुरुष वर्ग अपनी मां और बहन की इज्जत तभी तक करता है जब तक वे पुरुष प्रधान समाज की परिपाटी के दायरे में रहकर जीवन यापन करती हैं। यदि अपनी मर्जी से जीने लगे तो उन्हें भी गालियों के दायरे में खड़ा कर देते हैं, इसलिए मां बहन की गालियां प्रचुर मात्रा में अपनी भाषा के प्रयोग में दोहराई जाती हैं, क्योंकि उनकी इज्जत  एक सीमा तक निर्धारित है जो लोग अपनी मां बहन को गाली देते हैं उनकी इज्जत एक सीमा तक करते हैं। वह अपनी पत्नी की इज्जत क्या करेंगे? यह सोचने के लिए गंभीर मुद्दा है और जिस में बदलाव बहुत जरूरी है। 

 अगर  इस मुद्दे गंभीर रूप से चिंतन कर हमने इसमें परिवर्तन करने की कोशिश नहीं की तो स्थिति और भयानक हो जाएगी। जो लोग इस गलतफहमी में है कि नवयुवक युवतियां लिव इन रिलेशनशिप की तरफ बढ़ रहे हैं। उनके लिए बताना चाहूंगी कि स्त्रियों का अमर्यादित अपमान देखकर आने वाली पीढ़ी की नव युवतियां लिव इन रिलेशनशिप के बजाय एकाकी जीवन की तरफ बढ़ रही है, क्योंकि वे दिन-रात अपनी मां को देखती हैं घर की जिम्मेदारी निभाते हुए फिर भी समय  असमय उन्हें गालियों का शिकार होना पड़ता है, पुरुष प्रधान परिपाटी की नींव पर जिसके चलते उनमें विवाह परंपरा  के लिए डर और विरोध पैदा हो गया है जिस कारण भी एकाकी जीवन की ओर पदार्पण कर रही हैं जो एक भयावह परिस्थिति को जन्म देगा, पुरुष वर्ग के लिए। जिससे उनका अस्तित्व मिट जाएगा। यदि वे अपना अस्तित्व बचाए रखना चाहते हैं तो उन्हें इस अवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है और अपने अंदर सुधार करने की जरूरत है जो सुधार नहीं करेंगे व विनाश की ओर जाएंगे

आज आप लोगों के लिए सम्मान का मापदंड
आजकल यह बात जोरो शोरो से समाज में घूम रही है कि नव युवक युवतियां सम्मान में कमी करते हैं इसलिए आज सम्मान का मापदंड बता रही हूं

जिन लोगों ने परमपिता परमेश्वर के रूप में आदिशक्ति की अवहेलना की है उनके अपने जीवन काल में अपमान का मापदंड लिखा जा चुका है

जिन लोगों ने अपने मां-बाप की सेवा की है आराधना की है उन्हें भविष्य में ऐसी किसी भी परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन जिसने भी अपने जीवन काल में स्त्री जाति का अपमान किया है उसने अपने जीवन काल में अपमान का मापदंड लिखवा लिया है

और तीसरे वो लोग जो अपमान का मापदंड झेल रहे लोगों को देखकर दुखी होते हैं अपने जीवन काल में अपमान का मापदंड लिखवा रहे हैं इसलिए सम्मान के लेवल पर किसी के दुख में दुखी होने वाले अपमान के भागीदार होते हैं।

आज मेरे पास पुरुष वर्ग एक सवाल आया कि मंत्रणा के विषय में यदि स्त्री खर्च करने से पहले पूर्व पुरुष से मंत्रणा कर ले और फालतू खर्चा ना करें,  यह वचन विवाह में होना चाहिए।
सबसे पहली बात तो सारे वचन  पुरुष द्वारा ही दिए गए हैं, हमारे विवाह प्रथा में। ऐसा इसलिए है की विवाह पद्धति बनाने वाले व्यक्तित्व यह जानते थे कि स्त्री प्रकृति है स्त्री नियम है नियम से कोई वचन भरवाए नहीं जाते इसलिए ही विवाह के सारे वचन पुरुष द्वारा भरे गए हैं। 

दूसरा स्त्री लक्ष्मी होती है और लक्ष्मी का नियम होता है कि वह जहां रहना चाहती है अपनी मर्जी से इसलिए कहा भी जाता है लक्ष्मी के पैर होते हैं लक्ष्मी को बंधन में रहना पसंद नहीं। जब भी घर की स्त्री के खर्च पर पाबंदी लगाई जाती है तो वह नुकसान के तौर पर प्रत्यक्ष रूप में सामने आते हैं या तो व्यापार में नुकसान या पत्नी द्वारा नुकसान या फिर पत्नी की बीमारी में पैसा बेतहाशा खर्च होता है। इसके उलट जब पत्नी मनमर्जी माफिक  धन खर्च करती है तो उसका दिल बहुत खुश होता है और धन उत्पत्ति के नए संयोग घर में प्रवेश होते हैं। इसलिए ही स्त्री को गृह लक्ष्मी कहा जाता है। अब ऐसा प्रश्न रखने वाले पुरुष वर्ग खुद ही सोच ले कि वे स्त्री के खर्चों पर मंत्रणा कर नुकसान भरना चाहेंगे या उसे मनमाफिक खर्चा देकर घर में धन के उत्पत्ति के नए स्रोत चाहेंगे। एक पैरामीटर भी है कि जिसकी पत्नी जितनी ज्यादा बीमार होती है उतना ही उसे खरचने के लिए धन कम दिया गया है।

आज पति ने हाथ उठा दिया तो क्या हुआ ऐसा वीडियो अगर किसी नवयुवती की टाइमलाइन पर आया हो तो वह सतर्क हो जाए उस फैमिली से जिसने इसे शेयर किया है क्योंकि उसने यह प्रूफ किया है कि उसके घर में अगर बहुएं अपने हक के लिए आवाज उठाएंगी तो उन्हें मार कर चुप कर दिया जाएगा। मैं सिर्फ इतना बताना चाहती हूं कि उस भयानक दर्द को शादी होने से पहले कोई महसूस नहीं कर सकता इसलिए उसके बर्दाश्त करने की थाह तक भी नहीं पहुंच सकता, लेकिन यदि शादी के बाद ऐसा कोई हाथ उन पर उठेगा तब वे उस दर्द को सहेगी भी और किसी से कह भी नहीं पाएंगी। यह हमारी  समाज की कड़वी सच्चाई है कि  सबको अपने जीवनसाथी के रूप में एक पढ़ी लिखी इंटेलिजेंट बीवी चाहिए , जिसका स्टेटस हाई हो, जिसे वह अपने दोस्तों से मिलवा सके। लेकिन  घर में रहने के लिए  उसे  नौकरानी के पायदान पर ही रहना पड़ेगा  अगर वह यह काम नहीं करेगी तो उसे हाथ उठाकर  बताया जाएगा कि तेरी औकात यही है कि तू घर के काम करें। आजकल लड़कियां  हॉस्टल में रहती हैं  वहां जाकर पढ़ती हैं पढ़ाई के साथ-साथ अपने रोजमर्रा के काम भी हॉस्टल में वह स्वयं ही करती हैं । इसका मतलब यह है कि लड़कियों को अपने सारे काम करने बखूबी आते हैं, लेकिन  घर के काम  सिर्फ बहू होने की हैसियत से ही घर की बहु रानी के ऊपर डाल दिए जाएं  यह कहीं का कोई कायदा नहीं है अगर ऑफिस टाइम से जाना चाहते हैं  तो जल्दी उठकर अपनी पत्नी के रोजमर्रा के कामों में हाथ बटा सकते हैं  इतना टाइम होता है  सुबह 5:00 बजे से 9:00 बजे तक के रूटीन में। यदि यह टाइम कम पड़ता है तो 4:00 बजे उठे, अपनी पत्नी का  सहारा बने और  शारीरिक  कसरत से  आपकी सेहत भी परफेक्ट रहेगी। वीडियो में दिखाए गए वार्तालाप से बहस बहस में  घर के कामों को लेकर बात हाथ उठाने पर पहुंच गई । जब इतनी सी छोटी बात पर हाथ उठाने की नौबत आ सकती है या यूं कहूं  हाथ उठाने का हक जताया जा सकता है  तो यदि पत्नी बिना कहे कहीं किसी सहेली से मिलने जाए तो उसका तो कचूमर ही निकाल देगा पति। यह  स्थिति वही है जो मैंने अपने लेख में लिखी है कि आपको अपनी स्थिति सुधारने के लिए अपने कीमें से अपने अस्तित्व को लिखना होगा। आपको आपके मां बाप इसलिए नहीं पढ़ाया लिखाया कि आप घर में नौकरानियों की तरह काम करती रहें और वह काम जिसकी कोई वैल्यू नहीं होती। यदि कोई स्त्री अपने घर के जी जान से सजा सवार कर रखती है तब उसे बदले में यही कहा जाता है कि तुम संभाल कर रख रही हो तो क्या! यह काम तो सभी औरतें करती हैं। जब पढ़ लिखकर इस काबिल हुई है कि अपने हुनर को तवज्जो देकर अपने लिए आर्थिक संसाधन पैदा कर सकें तो इस ओर विशेष ध्यान दें क्योंकि यह  सारे काम नौकरानियां अरेंज करके कराया जा सकता है और जो वर्किंग वूमेन है वह अपने घर में मेड सर्वेंट रखती हैं।

कुछ अनपढ़ जाहिल लोग यह तंज कसते हैं कि बच्चा पैदा करने के लिए क्या नौकरानी रखें तो उनके लिए मेरी यही दुआ है कि उन्हें नौकरानियों से ही बच्चे पैदा कराने का सौभाग्य प्राप्त हो क्योंकि महारानियों से बच्चे पैदा कराने की औकात हर किसी की नहीं होती।

लोगों की राय यह है कि पुराणों में लिखा है पति स्त्री का गुरु होता है परमेश्वर होता है परंतु मैंने अपने व्याख्यान में इस बात की पुष्टि की है कि स्त्री पुरुष का अर्धनारीश्वर रूप परम पिता परमेश्वर है यदि हम उसमें से स्त्री तत्व निकाल देंगे तो वह परमपिता परमेश्वर कभी नहीं बन सकता और विवाह पद्धति में दिए गए वचनों के अनुसार जीवन यापन करने के बाद ही स्त्री पुरुष के अर्धनारीश्वर रूप के लिए युग्म बनाने की कार्य विधि प्रारंभ होती है और दिए गए वचनों को तोड़ देने के पश्चात विवाह खंडित हो जाता है जबकि विवाह के वचन पुरुषों द्वारा ही स्त्री को दिए जाते हैं और वही उसका खंडन कर विवाह खंडित भी करते हैं फिर किस आधार पर पति परमेश्वर हुआ इस पर अभी तक प्रश्नचिन्ह है?

मजे की बात यह है कि सवाल करने पर इस प्रकरण को मनु और शतरूपा से जोड़ दिया जाता है मनुस्मृति की दुहाई देकर। मनु और शतरूपा पृथ्वी पर पहले अर्धनारीश्वर रूप है जिनको पृथ्वी पर मानव विस्तार का कार्यभार सौंपा गया तब न ही परिवार प्रथा थी नाही विवाह प्रथा तब यह बात कि पति स्त्री का गुरु और परमेश्वर है किस प्रकार मनु और शतरूपा से जोड़ दिया गया? और मनु की स्मृति किताब अपने आप में यह प्रमाणित करती है कि वह मनु के जीवन के उपरांत लिखी गई है तो जिसने यह किताब लिखी है उसने अपनी विचारधारा के अनुरूप वर्णन किया  है लेकिन मनु और शतरूपा दोनों को ही संसार मैं मानवता का विस्तार करने की जिम्मेदारी दी गई थी तो फिर केवल मनुस्मृति से कैसे हम पृथ्वी के कानून और नियमों का निर्धारण कर सकते हैं यह भी सोचने वाला तथ्य है साथ ही साथ यह भी निष्कर्ष निकलता है कि जितने भी नियम निर्धारण इस पृथ्वी पर विद्यमान है वह सब मनुष्यों ने ही बनाए हैं ईश्वर ने नहीं इसलिए अब इनका परिवर्तन आवश्यक है क्योंकि इन नियमों के चलते हुए हम विनाश के कगार पर जा रहे।


समाप्त
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रविवार, 3 मई 2020

स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या दशम अध्याय

#स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या
दशम अध्याय_( स्त्रियों के जाने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें और स्त्रियों की योग्यताएं) 

#सात #फेरों #के #सातों #वचन #प्यारी #दुल्हनिया #भूल #न #जाना

इस पंक्ति की अभिव्यक्ति मेरे सभी व्याख्यानों को शत प्रतिशत सही साबित करती हैं यह पूरा गीत जिस भी फॉर्मेट में लिखा गया हो परंतु गीत की पहली पंक्ति मेरे व्याख्यानों पर खरी उतरती है। 

विवाह पद्धति के विश्लेषण के दौरान यह सिद्ध हो चुका है कि सातों वचन स्त्री ही पुरुष से लेती है इसलिए इन सातों वचनों का खंडन ना हो इस बात का महत्व पुरुष से कहीं ज्यादा स्त्री पर होता है हम स्त्रियां इन वचनों को भूल गए हैं कि यह वचन हमने उस पुरुष से लिए हैं जो पति रूप में हमारे अर्धनारीश्वर युग्म को पूर्ण करेगा इसका अर्थ यह भी है कि हमने अपनी मर्यादा का स्तर खुद नीचे गिराया है वचनों को भुलाकर तभी हम गुलामी की दास्तां में अपना जीवन जी रहे हैं

हमने उन वचनों का मान नहीं रखा जो मंत्रों के बीच हमने उस पुरुष से लिए जो पति रूप में हमारे जीवन की सहभागिता प्राप्त करता है बल्कि जो जीवन हम सभी स्त्रियों ने जिया वह वचनों की परिपाटी से बिल्कुल अलग और विपरीत था और है इन वचनों की परिपाटी पर स्त्रियां स्वयं अपनी स्थिति का आंकलन कर सकती हैं और यदि अपनी स्थिति सुधारना चाहती हैं तो यह बात उन्हें हरदम ध्यान रखनी होगी कि उन्होंने युग्म बनाने के लिए संयुक्त जीवन यापन पर कोई भी वचन नहीं दिया है बल्कि सभी वचन उस पुरुष से लिए हैं जो हमारे आगामी जीवन की सहभागिता करेगा

कहा जाता है की जब कोई वस्तु या प्राणी अपना स्तर भूलकर निचली श्रेणी में पदार्पण करती है तब वह अपनी सार्वभौमिकता खो देती है हम स्त्रियों ने भी अपने ज्ञान, स्वाभिमान, मर्यादा के स्तर को निचली श्रेणी में रखकर उसका अपमान किया है इसलिए ही स्त्री ने अपनी सार्वभौमिकता खो दी है। 

 मैंने जो भी बातें अभी तक जो भी बातें अपने व्याख्यान में लिखी हैं उनसे सभी शादीशुदा स्त्रियों का जीवन भी अछूता नहीं रहा वे चक्र सभी के जीवन में भी घटित होते हैं और इस कदर घटित हुए हैं कि उन्हें झेलते झेलते मेरे तन और मन का कीमा बन जाता है परंतु जब अपने तन और मन के  कीमें से अपने आपको व्यक्त करना शुरू किया जाता है, अपने अस्तित्व को लिखना शुरू किया जाता है तब धीरे-धीरे समाज में क्रांति ला कर सुधार लाया जाता है

 परंतु होता अक्सर यही है कि स्त्रियां अपने तन और मन का कीमा बनाने वाले पर दोषारोपण करके शांत हो जाती हैं परंतु वास्तविकता में गलती उनकी भी नहीं जो स्त्री के तन और मन का कीमा बनाने को उद्धत रहते हैं बल्कि गलती उस सारे सामाजिक परिवेश की है जिसमें हमारा सभी का जीवन उलझा हुआ है जिसे दूर करने के लिए पहला कदम खुद ही उठाना पड़ता है इस विचार के साथ कि हम जो भी करें उसका प्रभाव हमारी समूची स्त्री जाति पर पड़े ताकि उनकी दशा सुधर सके।

स्त्रियों पर दोषारोपण करने से पहले पुरुषों को खासकर शादीशुदा पुरुषों को अपने गिरेबान में झांक कर यह देख लेना चाहिए क्या उन्होंने विवाह के सातों वचन प्रतिबद्धता से निभाए हैं

उदाहरण के लिए यदि किसी को शिकायत है कि उनकी पत्नी उनके माता-पिता का ख्याल नहीं रखती तब उन्हें एक बार यह सोचना चाहिए कि अपनी पत्नी को उन्होंने यह वचन दिया है कि वे उनके माता-पिता का ध्यान उनका सम्मान पुत्र वत करेंगे और इस वचन की धुरी पर उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि वह दिन में कितनी बार अपनी पत्नी के माता-पिता से वार्तालाप कर उनका हालचाल पूछते हैं वृद्धावस्था में अक्सर दवाइयों की जरूरत होती है अपने अस्तित्व में झांक कर यह पता करने की कोशिश करें कि आपने विवाह के अनुबंध से अब तक कितनी बार फोन पर दवाई के लिए अपनी पत्नी के माता-पिता को याद दिलाया की आप दवाई खा लीजिए यदि नहीं तो आपको अपनी स्त्री के ऊपर दोषारोपण करने का अधिकार नहीं और दूसरी बात यदि आपकी पत्नी आपके माता पिता की सेवा नहीं करती आप के अकॉर्डिंग तब आपको यह बात ध्यान रखनी चाहिए की जिनकी सेवा का भार आप अपनी पत्नी के कंधों पर डाल रहे हैं वह आपके माता-पिता हैं यदि वे अपने कार्य भार के कारण आपके माता-पिता की सेवा नहीं कर पा रही है तो यह कर्तव्य आप निभा सकते हैं इंसान के तौर पर किसी एक को कर्तव्य की चूड़ी के बोझ के नीचे दबा देना सरासर बेवकूफी है दब आप जिम्मेदारियों का हार बना कर अपनी पत्नी के गले में डालेंगे तो वह विनाश को दावत देने वाली स्थिति पैदा करेगा ही उससे आप बच नहीं सकते।

#स्त्री_ममता_का_सागर
स्त्री भावनाओं से भरा सागर है इसलिए उसके मन में ममता का सागर हिलोरे मारता है और यह उसका स्वाभाविक गुण है कि वह हर एक को मातृत्व प्रदान करती है

कहा जाता है की सागर में पूर्णमासी के दिन ज्वार भाटा तरंगित होता है यह एक प्राकृतिक उदाहरण है कि यदि आपके मन में स्त्री के प्रति निश्चल प्रेम है आदर है सम्मान है जिसके कारण आपका मन पूर्णमासी के चंद्रमा की तरह सुंदर है तो वह अपने मन में बसे ममता के सागर से उठते ज्वार भाटा के आगोश में आपके संपूर्ण परिवार को बांधकर अपने प्रेम को पूर्णता प्रदान करेगी और यह एक प्रकृतिक क्रिया है यदि आप सचमुच पूर्णमासी का चांद है तो स्त्री के प्रेम रूपी ज्वार भाटे के प्रेम से आप अछूते नहीं रहेंगे। 

दूसरी बात स्त्री के अंदर ममता का सागर भरा हुआ है वह हर एक मिलने वाले प्राणी से प्रेम करती है और मातृत्व प्रदान करती है यह उसका स्वाभाविक गुण है इसलिए वह किसी से शारीरिक प्रेम ही नहीं करती वह उसी का समर्पण अपने लिए स्वीकार करती है जिसके मन में उसकी भावनाओं के प्रति सम्मान होता है परंतु हमने अपनी सामाजिक परिधि पर प्रेम को वासना का घोल बना दिया है स्त्री को भलीभांति पता है कि निश्चल प्रेम क्या है और वासना क्या है? परंतु हमने अपनी मानसिकता से प्रेम को वासना का घोल बनाकर स्त्री पर पूरी तरह डाल दिया है ताकि उसका अंग-अंग वासना में लिप्त हो जाए। यह हमारे समाज की परिपाटी का सबसे बड़ा दोष है और जिसके चलते नियम बनाए गए कि स्त्री को पर पुरुष से प्रेम करने का अधिकार नहीं स्त्री को प्रेम सिर्फ अपने पति से करना चाहिए क्योंकि हमने प्रेम को ममता के बजाय वासना के घोल में परिवर्तित कर दिया है और दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि हम अपने धर्म की कोई भी शिक्षा अपनी शिक्षा पद्धति में नहीं रखते जिस कारण भ्रम पैदा होते हैं हम क्यों अपनी शिक्षा पद्धति में बाबर हुमायूं अकबर की लड़ाई हो का वर्णन पढ़ते हैं? हम क्यों अपनी शिक्षा पद्धति में गायत्री मंत्र का अर्थ नहीं पढ़ते? क्यों अपनी शिक्षा पद्धति में महामृत्युंजय जाप का अर्थ नहीं पढ़ते? क्यों अपने संस्कारों को हम शिक्षा पद्धति में नहीं पढ़ते और अगर हमें वीरता की ही शिक्षा लेनी है तो क्यों हम टीपू सुल्तान को पढ़ते हैं? क्यों हम महाभारत के अध्याय नहीं पढ़ते? जहां वीर सेनानियों की कोई कमी नहीं आखिर क्यों नहीं हिंदू धर्म का कोई भी संस्कार शिक्षा पद्धति में पढ़ाया जाता? यह सवाल बिगड़ते हुए हालात पर एक हथौड़े नुमा प्रश्नचिन्ह है? 

इन सभी अज्ञानों के चलते हमारी हिंदू पीढ़ी विक्षिप्त विचारधारा से ग्रसित हो रही है आज युवा पीढ़ी सिर्फ यह ज्ञान पढ़ती है कि स्त्री को प्रेम सिर्फ अपने पति से करना चाहिए क्योंकि प्रेम को वासना के घोल बनाकर उनके मन मस्तिष्क पर बुरी तरह डाल दिया गया है जिसके चलते वह यह सवाल करने लगे हैं कि हम ऐसे धर्म को क्यों अपनाएं जहां श्री कृष्ण ने प्रेम किसी स्त्री से किया और विवाह 108 स्त्रियों से किए हैं सिर्फ और सिर्फ अज्ञानता है सिर्फ इस बात की कि प्रेम को हमने वासना को घोल बनाकर उनके मन मस्तिष्क पर डाल दिया है दूसरा कि हम किसी भी अवतार की लीला का वर्णन सही ढंग से स्पष्ट शब्दों में नहीं करते व्याख्या सिर्फ पुरुष प्रधान परिपाटी पर की जाती है यह एक कड़वी सच्चाई है जिसने स्त्री की अपनी सोच को बिल्कुल खत्म कर दिया है और सबसे बड़ी बात स्त्री हमेशा स्त्री तंत्र के नियम से ही सोचती है यह उसका स्वभाव है और पुरुषों को स्त्री तंत्र समझ नहीं आता इसलिए वे उन्हें बेवकूफ करार कर मंदबुद्धि कह देते हैं लेकिन यह स्वीकारने को तैयार नहीं होते कि प्रकृति आज भी स्त्री तंत्र पर ही प्रवाहित हो रही है।

इस संसार का एक नियम है जो अटल सत्य है जो देता है वह ईश्वर है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति जो समाज को कुछ देकर जाता है ईश्वर की तरह समाज में पूजनीय होता है।

हम सभी ईश्वर की पूजा करते हैं कुछ साकार रूप में कुछ  निराकार रूप में। उनकी तपस्या करते हैं, पूजा करते हैं, अर्चना करते हैं और प्रसन्न होने पर वह हमें सुख समृद्धि शांति प्रदान करते हैं। जिससे हमारा जीवन सुचारू रूप से चलता है। सुख समृद्धि शांति एक प्रसाद है जो हमें ईश्वर की तपस्या करने के बाद ही प्राप्त होता है।ठीक उसी प्रकार हम प्रकृति यानी धरा की पूजा करते हैं, अर्चना करते हैं। जिसके फलस्वरूप हमें अन्न की प्राप्ति होती है, वह हमारा प्रसाद है जो हमें धरा की तपस्या करने के पश्चात मिलता है।

ठीक उसी प्रकार स्त्री है जिसकी नियम पूर्वक साधना और तपस्या करने के पश्चात कामसुख रूपी प्रसाद की प्राप्ति होती है जिसके फलस्वरूप मानवता का विकास होता है यह एक अटल सच्चाई है इसे नकारने वाले ईश्वर को नकार रहे हैं। 

परंतु हमारे समाज में जो कि पुरुष प्रधान समाज है और उसी परिपाटी पर प्रवाहित किया जा रहा है, वहां पर विवाह पद्धति द्वारा शुद्धता के पश्चात, सबसे पहले प्रसाद रूपी कामसुख को प्राप्त किया जाता है, वंश की उत्पत्ति की जाती है, उसके बाद स्त्री को अपनी सेवा में संगलन कर लिया जाता है।

ना ही उसकी तपस्या की जाती है, ना ही साधना, ना ही पूजा, नाही अर्चना क्योंकि हमने उसके प्रसाद को प्रथम चरण में ही प्राप्त कर लिया है इसलिए उसकी सेवा साधना की कोई आवश्यकता ही नहीं समझी जाती। यही कारण मानव जाति के विनाश का है क्योंकि उसकी उत्पत्ति के साधन का अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग करके उसे अपने अनुसार ही चलाया जाता है, इसलिए ही यह सृष्टि विनाश की ओर जा रही है क्योंकि हमने इस वक्तव्य को बिल्कुल भुला दिया है कि जो देता है वह ईश्वर होता है

इसे सुधारने का  एक मात्र उपाय  यही है  कि चक्र भी ऐसा होना चाहिए की विवाह पद्धति पर शुद्ध होने के पश्चात आप वह स्त्री, जो आपकी वंशवेल को आगे बढ़ाएगी उसकी तपस्या कीजिए, उसकी साधना कीजिए और तो वह प्रसन्न होकर आपको प्रसाद रूपी कामसुख के अमृत्व को प्रदान करेगी जिसके फल स्वरुप नवजीवन का निर्माण होगा इसलिए ही परिवार निर्धारण के पहले बिंदु पर मैंने कामौर्य का नगण्य स्थान केंद्रित किया था।

आजकल अधिकतर गृहिणियों के बात करने का दायरा अपनी सहेलियों के बीच सिर्फ और सिर्फ कामसुख के विषय के मध्य अटक कर रह गया है, जिसे उन्होंने अपने हंसी मजाक के क्षेत्र में उतार लिया है।  उनका यह दायरा उनके बच्चों में भी स्थानांतरित हो रहा है। इस विषय की भयानकता इस बात से प्रदर्शित होती है कि जो प्रसाद रूपी कामसुख स्त्रियां तपस्या और साधना के बाद अपने संरक्षक को देती हैं जिसके उपरांत नवजीवन का निर्माण हो, मानव जाति का विकास होता है उसके महत्व को उन्होंने खत्म कर मजाक के पायदान पर सीमित कर दिया है, जिस कारण वे खुद ऐसी भयानक स्थिति में आ गई है वेश्या कुल में रहने वाली नारियों और गृहिणियों में अंतर समाप्त हो गया है इस बात का यह मतलब नहीं है कि जो स्त्रियां वेश्या कुल में उतर गई है वे स्त्रियां कहलाने लायक नहीं है! क्योंकि स्त्री मानव जाति का विकास करती है चाहे वह किसी कुल में वर्गीकृत क्यों ना कर दी गई हो वह समाज को नवजीवन देती है इसलिए प्रत्येक स्त्री ईश्वर का दर्जा रखती है। 

गृहिणियों  की यह भयानक स्थिति पुरुषों द्वारा की गई है, इसे नकारा नहीं जा सकता क्योंकि ममता के सागर वाले मातृत्व स्थान पर उन्होंने प्रेम को वासना का घोल बनाकर उड़ेल दिया है जिससे स्त्रियों का तन मन वासना में लिप्त हो गया है और यह घोल उन पर निरंतर डाला जा रहा है। इस बात पर हमने रोक नहीं लगाई और उन्हें एक सम्माननीय, पूजनीय दर्जा हमने नहीं दिया जैसे कि शादीशुदा पुरुष वर्ग वचन देता है कि अन्य सभी स्त्रियां उसके लिए माता के समान है वही माता का सम्माननीय दर्जा स्त्रियों को पुरुषों द्वारा दिया जाए और वचनों का अनुपालन भी होगा नहीं तो जो विक्षिप्त मानसिकता पुरुष वर्ग समाज में फैला रहा है वह उसका सर्वनाश करने के लिए पर्याप्त है अब सोचना पुरुष वर्ग को है कि अपनी मानसिकता में बदलाव कर समाज का सुधार करें या फिर विनाश की ओर अग्रसर हो अपने अस्तित्व का सर्वनाश कर लें।

कोविड 19 से लड़ने को खुद को तैयार कर लें - मृदुल शर्मा

विश्व को कोरोना कोविड-19 के साथ रहना ही होगा




      जब समय खराब आता है तो राजा रंक बन जाते हैं । यह समय का चक्र ही तो है एक छोटे से वायरस ने पृथ्वी का सर्वशक्तिशाली महा मानव भी भयभीत कर दिया। वह वर्षो पहले के जीवन जीने के लिए बाध्य है घरो से बाहर भी नही निकल सकता ।
     अमेरिका , इटली जैसे देशों की हालत आज क्या हो रही है आप देख रहे हैं । मनुष्य सर्व शक्तिशाली समझ बैठा था आज कोविड 19 कोरोना जैसे वायरस ने मनुष्य को अहसास कराया कि समय खराब आता है तब ऐसा भी हो सकता है ।

      भारत मे जैसा कि आप सभी देख रहे हैं 1 माह 10 दिन से ज्यादा हो चुका है जब सारा भारत लॉक डाउन है । भारत ही क्या अनेक देश पूरी तरह बंद हैं। जो बंद नही हुए वहां कोविड 19 से मरने वालों की संख्या हज़ारो लाखो में है। परंतु जब तक वेक्सीन नहीं बनती इस महामारी से बचने का  उपाय लॉक डाउन ही नहीं  है। परंतु यह भी सत्य है यदि लॉक डाउन ना होता तो हालात और भी बद्दतर होते। अब देश के सामने संकट है।


       जो आज तक ना हुआ जिसकी कल्पना किसी ने कभी  नहीं की थी वह 22 मार्च 2020 से भारत मे शुरू हुआ लोक डाउन से अब तक जो दृश्य और परिस्थिति देखने को मिली । सारे हवाई जहाज ट्रैन फैक्ट्री आदि सभी बंद ।। मनुष्य  स्वयम के घर मे कैद होने को मजबूर हुआ ।

      अब दुनिया जानती है इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई । सम्भवतः यह जैविक हथियार है और यह तृतीय विश्व युद्ध है जो छिड़ चुका है। देश खुद को बचाने में लगे हुए हैं।इसके बारे में चर्चा आगे करेंगे।

       परन्तु लॉक डाउन से अब तक तो बचा जा सका परंतु आगे यह महामारी भुखमरी का रूप ले सकती है साथ ही देश की अर्थ व्यवस्था और भी ज्यादा चर्मरायेगी। देश की अर्थव्यवस्था और भुखमरी को नियंत्रित करने के लिए, अब सभी मनुष्यों को स्वयम की आदतें सुधारनी ही पड़ेंगी।



        लॉक डाउन 3.0 शुरू हो चुका है । कोविड 19 से निपटने के लिए अब हमें इसी बीच अपनी प्राण शक्ति बढ़ाना आवश्यक है अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी को सही करना है ।



        इसके लिए अपने खान पान को भी सही करना है । स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक योगाभ्यास भी करने हैं। साथ मे आवश्यक आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा इम्युनिटी स्ट्रांग करनी है।

खान पान

सही डाइट प्लान बनाएं

दिन में खाना 4-6 बार खाएं । यह नहीं कि दिन में दो बार  भोजन किया वह भी पेट भर कर । थोड़ा थोड़ा खाएं संतुलित खाएं ।संतुलित व पौष्टिक  आहार लें ।

नाश्ता

सुबह 5-6 बजे उठें ,  उठते ही गर्म पानी का सेवन करें, फ्रेश हों ,ध्यान व योग करें ।



नाश्ता 7-8 बजे होना ही चाहिए नाश्ते में प्रोटीन लें , प्रचुर मात्रा में प्रोटीन लेने के लिए आप नाश्ते में अंकुरित चने, अंकुरित हरि मूंग, थोड़ा पनीर स्वाद के लिए प्याज,टमाटर,कला नमक आदि का उपयोग करें।किसी दिन प्रोटीन के लिए अंडे भी ले एक्ट हैं ।


नाश्ते के बाद 10 से  11 बजे आप जूस ले सकते हैं । या कोई भी एनर्जी  ड्रिंक लें ।

दोपहर का खाना 
खाना 12-1 बजे के बीच का समय खाने के किये रखें खाने में दाल रोटी हरि सब्जी सलाद अवश्य लें । अपनी इच्छानुसार बदल सकते हैं ।

4 से 5 बजे आप फ्रूट्स लें फ्रूट चाट लें या जूस लें । यह आपके लिए बेहद फायदेमंद रहेगा ।



रात्रि का भोजन
7-8 बजे हल्का खाना खाएं जिसमे वही कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन लें खाना सीमित रखें पेट हल्का ही राहना चाहिये।



       रात्रि 10 बजे सोने से पहले आप दूध ले सकते हैं । दूध के साथ आप अश्वगंधा, सतावरी आदि चिकित्सक के परामर्शानुसार लें। अश्वगंधा इम्युनिटी बढ़ाता है ।
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग आपके शरीर के अनुसार करें।

      मोटापे को ना बढ़ने दे संतुलित आहार विहार किसी भी वर्कर के रोग से आपको बचाये रखता है । यदि अपनी दिन चर्या सही कर ली जाए तो हमे किसी भी प्रकार का रोग जैसे मोटापा उच्च रक्तचाप शुगर आदि कुछ भी नहीं होगा ।

धूम्रपान नशा शराब आदि का सेवन बिल्कुल बंद कर दें ।




प्रोटीन का उपयोग  ज्यादा करें। इसके लिए आप अंडे, अंकुरित चने , अंकुरित मूंग, डालें , पनीर , मूंगफली के दाने, बीन्स, जैसे चने , राजमा, ड्राई फ्रूट्स  बादाम काजू, दूध ,आदि ले सकते हैं।








पानी ज्यादा पीने की आदत डालें ।



ध्यान एवम योग

     सुबह 1 घण्टा ध्यान एवम योग के लिए अवश्य निकालें।ध्यान करने से आपकी प्राण शक्ति में इजाफा होता है यह बहुत ही स्ट्रॉग क्रिया है जिसके द्वारा हम स्वयम को मजबूत कर सकते हैं। 


     प्राणायाम करें साथ मे सूर्यनामष्कार कपालभांति प्रतिदिन करें । सारे रोग दूर होंगे और आपको दीर्घ आयु प्राप्त होगी।





     हेंड ग्लव्स व सेनेटाइजर का उपयोग करें । रास्ते मे ग्लव्स का उपयोग करना होगा । आफिस में जाकर ग्लव्स भी साफ करने होने या सेनेटाइजर का उपयोग कर वह संक्रमण रहित करना होगा । इसी प्रकार घर लौटने पर घर के बाहर ही सेनेटिक्सर का उपयोग करना होगा बाथरूम में जाकर कपड़े धोने के लिए डालने होंगे । एक आदत यह डालनी होगी कि हाथ चेहरे की तरफ ना जाएं ।यह सब अपने जीवन मे ढालना ही होगा।



मृदुल शर्मा 
प्रधान संपादक 
नवदृष्टि युवा आवाज 
राष्ट्रीय मासिक पत्रिका




शनिवार, 2 मई 2020

अब विश्व को कोरोना के साथ जीना पड़ेगा

 विश्व को अब कोरोना के साथ जीना ही पड़ेगा 
जी हां आपने सही सुना वर्तमान हालातों को देखते हुए अब दुनिया का कोई भी देश ज्यादा लॉक डाउन नहीं कर सकता लॉक डाउन करने से आर्थिक व्यवस्था खराब होती जा रही है लोग  कोरोना से नहीं मरेंगे तो भुखमरी से मारेंगे अब हमें कोरोना  covid-19 के साथ जीना पड़ेगा अब यह आम आदमी के जीवन का हिस्सा बन गया है अब हमें इससे जुड़े हुए प्रिकॉशन भी साथ में रखने पड़ेंगे जैसे के हैंड सैनिटाइजर, ग्लव्स और इससे जुड़ी हुई अन्य सावधानियां गर्म पानी का सेवन घर में लाई हुई चीजों जैसे हरी सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर  उसका उपयोग करना घर में घुसने से पहले ही स्नान करना हैंड वॉश करना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ेगा लगातार यह अपने बच्चों को भी सिखाना पड़ेगा विशेष सावधानी के साथ जिंदगी को आगे बढ़ाना पड़ेगा, इसके अलावा विश्व के पास कोई चारा नहीं बचा इन सब चीजों को करते-करते साथ में इसकी वैक्सीन की खोज जारी रहेगी ही लेकिन अब ब्लॉक डाउन को ज्यादा झेला नहीं जा सकता क्योंकि हालात गंभीर होते जा रहे हैं हम देख रहे हैं कि जिस तरह से लॉक डाउन किया जा रहा है उससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है सारे काम धंधे चौपट पड़े हुए हैं छोटे-छोटे काम करने वाले लोग जो रोज खोदो  रोज पियो वाला सिस्टम चल रहा था उनका वह सब सिस्टम  खत्म हो गया वह कहां से कब तक खाते रहेंगे ? हम सभी की मूलभूत सुविधाओं में राशन पानी ही नहीं होता है इसके अलावा बहुत सारी चीजें होती है जो केवल पैसे से ही ली जा सकती है इसी प्रकार हर  मनुष्य सिर्फ दाल चावल आटे से भी काम नही चलता। एक खबर सुनने को मिली कि एक  4 साल की बच्ची बिना इलाज के तड़प तड़प कर मर गई ।  एक बच्ची नहीं जाने कितने लोगों ने बिना इलाज के अपनी जान से हाथ धो दिया है इसके अलावा बहुत सारे घरों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है उनके घरों में चूल्हा जलना बंद हो गया है बहुत से परिवार एक टाइम का भोजन करके गुजारा कर रहे हैं । स्थिति इससे और भी ज्यादा खराब हो महामारी से बचने के साथ भुखमरी से मरने को मजबूर हो जाए सरकार को निर्णय लेना होगा ।



भारत सरकार ने समय से लोक डाउन कर दिया जिसके कारण देश में महामारी संक्रमण पर नियंत्रण  कर लिया गया अन्यथा की स्थिति में आज लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हो जाएं गंवा चुके होते । साथियों मित्रों माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में देश ने कोरोना के खिलाफ जो जंग लड़ी है उसमें हम जीत रहे हैं इस 2 माह के लॉक डाउन के समय में ही देश ने कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी तैयारियां कर ली है जिस समय कोरोना का प्रकोप विश्व में फैल रहा था और जब अचानक से भारत में आया तो हमारे हॉस्पिटल्स भी इसके लिए तैयार नहीं थे आज भारत सरकार ने युद्ध स्तर पर कोरोना से लड़ने के लिए हॉस्पिटल्स का भी निर्माण कर लिया है यही नहीं चिकित्सकों को नर्सिंग स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है । 

अब करना क्या होगा
कोविड 19  से लड़ने  में अब दायित्व बनता है जनता का जनता को लापरवाही छोड़ इससे लड़ने के, इसके साथ जीने के तौर-तरीकों को अपने जीवन में ढ़ालना होगा जैसा कि हमने ऊपर बताया है हैंड सैनिटाइजर, हेंड वाश, हैंड ग्लव्स इत्यादि का उपयोग लगातार करना होगा घर के हर सदस्य को इन सावधानियों के बारे में जागरूक करना होगा। इसके अलावा अपने भोजन अपने दिनचर्या में शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी सिस्टम) को सही करने का तरीका अपनाना होगा भोजन में तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खानपान में सुधार करना होगा पौष्टिक आहार लेना होगा और दिनचर्या में आवश्यक योगासनों का एवं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक शारीरिक श्रम का, कसरत का अभ्यास जारी रखना होगा, दैनिक रूटीन बनाना होगा यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा भी होगा।


लॉक डाउन सीमित क्षेत्र में ही लगाया जाएगा
अब लॉक डाउन में  सुधार करने होंगे जिससे देश फिर से चलना शुरू होगा उसमे निम्नानुसार कार्य शुरू किया जा सकेगा । लॉक डाउन केवल उसी संक्रमित क्षेत्र में किया जाए जहां पर यह कोरोना के केसे मिले हैं एक उदाहरण अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिया था कि जैसे मान लीजिए उदाहरण के तौर पर 50 गांव का कोई जिला है वहां किसी एक गांव में 40 मरीज कोरोना के निकलते हैं तो पूरे जनपद को लॉक डाउन करना कोई बुद्धिमता का काम नहीं है ।बिल्कुल यह सत्य बात है इसमें जो है कोई दो राय नहीं है अगर उस केवल 1 गांव को लोक डाउन किया जाए और बिल्कुल सीज कर दिया जाए बाकी सारे 49 गांव के काम सुचारू रूप से चलाई जाए तो हम अर्थव्यवस्था को सुचारू कर सकते हैं और जो गांव इससे संक्रमित हैं और पीड़ित है उसकी मदद भी भली प्रकार से कर सकते हैं एक गांव जो  कोरोना से ग्रसित हो उसके आवाज में पूरे 50 गांव को बिठाकर सरकार सारी सुविधाएं मुहैया कैसे करा सकती है कुमारी के संगठन सामाजिक कार्यकर्ता कब तक इस लड़ाई को लड़ते रहेंगे इसके लिए आवश्यक है कि सरकार एक अच्छी रणनीति बनाए जिस एरिया में या करो ना संक्रमित मरीज पाए जाएं वहां पर जो है सिर्फ उसी एरिया को सील किया जाए इसके लिए पूरे जिले को सील न किया जाए इस और सरकार को ध्यान देना होगा ।

यदि आपके पास हैं सुझाव तो आप कमेंट बॉक्स में अवश्य दें । अपने विचार अवश्य रखें।

#स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या नवम् अध्याय_( पांचवें और छठे वचन की व्याख्या समीक्षा सहित)

#स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या
नवम् अध्याय_( पांचवें और छठे वचन की व्याख्या समीक्षा सहित) 
                 
                    लेखिका- दीपिका माहेश्वरी बिजनोर

#विवाह #का #पांचवा #वचन

5. #स्वसद्यकार्ये #व्यहारकर्मण्ये #व्यये #मामापि #मन्‍त्रयेथा
#वामांगमायामि #तदा #त्वदीयं #ब्रूते #वच: #पंचमत्र #कन्या!!

(इस वचन में कन्या कहती जो कहती है, वह आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्व रखता है। वह कहती है कि अपने घर के कार्यों में, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मंत्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

यह वचन पूरी तरह से पत्नी के अधिकारों को रेखांकित करता है। अब यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व पत्नी से मंत्रणा कर ली जाए तो इससे पत्नी का सम्मान तो बढ़ता ही है, साथ-साथ अपने अधिकारों के प्रति संतुष्टि का भी आभास होता है।

#विवाह #के #पांचवे #वचन #की #समीक्षा

इस वचन की समीक्षा  मैं चर्चा के पायदान की महत्ता में विस्तृत रूप से कर चुकी हूं जिसने वह व्याख्या नहीं पढ़ी कृपया उसे पढ़ ले अब सिर्फ इतना ही कहूंगी  की चर्चा या मंत्रणा  की सफलता तभी संपन्न होती है जब आप स्त्री के विचारों को भी महत्व दें।  स्त्री पर अपने विचार लादकर मंत्रणा को अंजाम देने का भी कोई फायदा नहीं।  क्योंकि  पुरुषों में यह बात कूट-कूट कर भरी होती है स्त्रियों में विचार विमर्श करने की अक्ल नहीं होते, इसलिए मंत्रणा करना जरूरी नहीं समझते इस कारण  इस वचन पर भी सैकड़ों विवाह खंडित कहलाएंगे आज के परिपेक्ष में भी। चर्चा के पायदान की महत्ता के साथ-साथ एक बात और ध्यान देने योग्य है कि जिस अवस्था में पुरुष वर्ग स्त्री का जाना पसंद नहीं करता अपनी पत्नी के तौर पर, उस अवस्था में वह खुद भी जाने का अधिकारी नहीं होता। उदाहरण के तौर पर यदि उसे अपनी पत्नी मदिरा युक्त अवस्था में पसंद नहीं तो उस पुरुष को भी मदिरा पीने का अधिकार नहीं है वैसे भी हिंदू धर्म में मदिरा निषेध है।

#विवाह #का #छठा #वचन

6. #न #मेपमानमं #सविधे #सखीना #द्यूतं #न #वा #दुर्व्यसनं #भंजश्वेत
#वामाम्गमायामि #तदा #त्वदीयं #ब्रवीति #कन्या #वचनं #च #षष्ठम!!

(कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्‍त्रियों के बीच बैठी हूं, तब आप वहां सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आपको दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

लीजिए पांचवे वचन में मैंने कंडीशनली यह बात लिखी थी परंतु छठा वचन इसकी पुष्टि कर रहा है कि आपने हर प्रकार के दुर्व्यसनों से दूर रहने का वचन दिया है आज की परिपेक्ष का कटु सत्य यह है कि पढ़े लिखे नौजवान नशा आदि सभी दूर्व्यसनों से दूर रहते हैं लेकिन जो प्रौढ़ावस्था या वृद्ध अवस्था में पहुंच चुके हैं उन्होंने अपनी आधी जिंदगी नशे में बिताई है और जिन्होंने इस तरह का जीवन जिया है उन सभी के विवाह खंडित हैं।
#विवाह #के #छठे #वचन #की #समीक्षा

सच कहूं तो छटे वचन को पढ़कर हंसी आती है क्योंकि सच्चाई यही है कि नारी को नारी दिवस पर भी अपने मन से जीने की आजादी नहीं है

नारी दिवस की घटना है किसी शहर में नारी का सम्मान करने के लिए कुछ नारियों को बुलाया गया पुरुषों की तरफ से वहाँ पर उन्हें खूबसूरत तोहफो से नवाजा गया जब नाश्ते का कार्यक्रम शुरू हुआ तब पुरुषों ने उनकी आवभगत की तब कुछ स्त्रियां अपनी तबीयत की वजह से या किसी अन्य कारण से खाने में आनाकानी करने लगी तब पुरुष वर्ग में से एक शख्स ने कमेंट किया की एक तो बंदा खिलाने में मंढ़ रहा है और इसे नक्शे दिखाने से फुर्सत नहीं है और संग बैठे पतिदेव भी नजरें इस प्रकार नीचे कर लेते हैं जैसे उनकी खुद की पत्नी ने बहुत बड़ा जुर्म कर लिया हो

यही असली सच्चाई है नारी दिवस पर नारी के सम्मान की भारत में कुछ पुरुष नारी को इस्तेमाल करने की वस्तु समझते हैं वह भी अपनी विचारधारा के अकॉर्डिंग। नारी अपने मन से कोई डिसीजन लेना चाहे तो वह अपने पैरों से उसे कुचलने की क्षमता रखते हैं। यही भारतीय पुरुष का नजरिया है नारी के प्रति और कहा जाता है कि भारत से ज्यादा नारी का सम्मान कहीं नहीं होता।

ऐसी विचारधारा रखने वाले लोग जब अन्य स्त्री का सम्मान अपनी नजर में नहीं रख सकते तो वह लोग अपनी पत्नियों का सम्मान किस जगह पर करते होंगे? यह बहुत गंभीर मुद्दा है सोचने के लिए और इस तरह की सोच पर अपना जीवन व्यतीत करने वाले सभी पुरुषों का विवाह खंडित है।

स्त्रियों को सभी के सामने गाली गलौज कर देना स्त्रियों पर हाथ उठाना ऐसे पुरुष वर्ग अपनी जागीर समझते हैं ऐसे मानसिक रोगी पुरुषों के विषय में सोचने की क्या समाज को आवश्यकता नहीं?

शुक्रवार, 1 मई 2020

मथुरा में और 9 की रिपोर्ट आई कोरोना पॉजिटिव निकले। संख्या बढ़ कर हुई 26।

मथुरा में और 9 की रिपोर्ट आई कोरोना पॉजिटिव निकले। संख्या बढ़ कर हुई 26।

*मथुरा नगरी इस समय कोरोना के घेरे में।*

जनता के साथ साथ प्रशासन की भी रही लापरवाही।
       अब भी ना जागे तो विनाश के भागी होंगे बृजवासी । घोर लापरवाही का परिणाम ग्रीन जॉन से देखते देखते पहुंचा रेड जॉन में मथुरा।
      मथुरा निवासियों को भी बरतनी होगी सावधानियां । हरि सब्जी का प्रयोग बंद कर दें या फिर घर से बाहर निकले तो अंगोछा से मुँह ढक लें किसी भी चीज को छुएं न ।
सब्जी या समान लाने पर घर के नाहर ही धो लें धोने में गरम पानी का उपयोग करें। साबुन से हाथ साफ करें सेनेटाइजर का उपयोग करें तब ही घर के अंदर प्रवेश करें। अब भी ना जागे तो इस महामारी से बचना मुश्किल ।

रिपोर्ट आने वालों की डिटेल -:

4 सब्जी विक्रेता।
एक मिलिट्री हॉस्पिटल से है।एक नयति की नर्स है।
और एक मदरसे से है।चौबिया पाडा के अनुराग चतुर्वेदी की दो बहनों की रिपोर्ट आई पॉजिटिव।

संख्या बढ़कर हुई 26


देश मे लॉकडाउन बढ़ा और दो हफ्तों के लिए

*देश मे लॉकडाउन बढ़ा और दो हफ्तों के लिए* 

*3 मई के बाद 2 सप्ताह और*

लॉकडाउन 3 में
*रेड ,ऑरेंज,और ग्रीन जोन* में अलग अलग प्रावधान के अनुसार सेवाओं की  छूट मिलेगी।


लॉकडाउन 3.0 : किस जोन में क्या छूट मिलेगी और क्या रहेगा बंद, जानिए सब कुछ

- लॉकडाउन के तीसरे चरण में क्या छूट मिलेगी
- रेड जोन में किसी तरह की कोई गतिविधि नहीं
- ग्रीन जोन में आधी आबादी के साथ बसेंं चल सकती हैं
- रेड जोन में जरूरी सामान की ऑनलाइन डिलीवरी होगी
- मनरेगा के काम को मंजूरी
- ग्रीन जोन में शराब और पान की दुकानें खुल सकेंगी
- इन दुकानों में दो गज की दूरी रहेगी, एक बार पांच लोग से ज्यादा नहीं
- ऑरेंज जोन में जिलों के भीतर जरूरी काम के लिए वाहन चलाने की अनुमति
- ऑरेंज जोन में टैक्सी में ड्राइवर के अलावा दो लोगों के बैठने को मंजूरी।
- हर जोन में स्कूल, कॉलेज बंद रहेंगे
- हर जोन में शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक गैर जरूरी काम के लिए आने जाने पर रोक
- हवाई, सड़क, ट्रेन और मेट्रो सफर पर रोक
- साइकिल, रिक्शा, ऑटो रिक्शा पर रोक
- टैक्सी और कैब भी नहीं चलेगी
- सैलून, नाई की दुकान, स्पा बंद रहेंगे़
- होटल और रेस्टोरेंट्स बंद रहेंगे
- सिनेमा हॉल, मॉल, जिम, स्पोर्ट्स क्लब बंद रहेंगे
- सभी धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद रहेंगे
- 65 उम्र से ज्यादा वाले और 10 साल से कम उम्र वाले बच्चों को घर में रहने की हिदायत।


शरीर के तिल शुभ-अशुभ के संकेत देते हैं।

मनुष्य के शरीर के तिल शुभ-अशुभ के संकेत देते हैं


         ज्योतिष शास्त्र में विश्वास रखने वाले लोगो का मानना है कि  मनुष्य के शरीर पर तिल का होना भी किसी न किसी बात की ओर इंगित करता है। इतना ही नहीं तिल किस जगह है, इसके भी परिणाम अलग अलग ही होते हैं।

ललाट पर तिल: यदि तिल माथे के मध्य भाग में है निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल सदैव फिजूलखर्ची का प्रतीक है। ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है।

 भौंहों पर तिल: यदि दोनों भौहों पर तिल हो तो ऐसा माना जाता है कि जातक अकसर यात्रा करता रहता है और यदि तिल दाहिनी भोह पर हो सुखमय और बायीं पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है।

आंख की पुतली पर तिल: इसी प्रकार यदि दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार कुत्सित होते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं।

4. पलकों पर तिल:  आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशीलता का द्योतक है। कहा जाता है कि दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।
5. आंख पर तिल: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दायीं आंख पर तिल स्त्री से मेल होने का  एवं बायीं आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का आभास देता है।

6. कान पर तिल:- कान पर तिल व्यक्ति के अल्पायु होने का संकेत देता है।

7. नाक पर तिल:  नाक पर तिल हो तो व्यक्ति प्रतिभासंपन्न और सुखी होने का द्योतक है। महिलाओं की नाक पर तिल उनके सौभाग्यशाली होने का सूचक है।

8. होंठ पर तिल:- किसी जातक के यदि होंठ पर तिल है तो वह  बहुत प्रेमी हृदय का होता हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी से जुझता है।

9. मुंह पर तिल: मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरुष दोनों के सुखी संपन्न एवं सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का धनी बनाता है। उसका जीवनसाथी सज्जन होता है।

10. गाल पर तिल: यदि व्यक्ति के  गाल पर लाल तिल हो तो शुभ फल देता है। बाएं गाल पर काला तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु दाएं गाल पर धनवान बनाता है।

11. जबड़े पर तिल:  जबड़े पर तिल हो तो स्वास्थ्य की अनुकूलता और प्रतिकूलता निरंतर बनी रहती है।

12. ठोड़ी पर तिल: जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है।

13. कंधों पर तिल:  दाएं कंधे पर तिल का होना दृढ़ता तथा बाएं कंधे पर तिल का होना तुनकमिजाजी का सूचक होता है।

14. दाहिनी भुजा पर तिल: ऐसे तिल वाला जातक प्रतिष्ठित व बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं।

15. बायीं भुजा पर तिल: बायीं भुजा पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू होता है। उसका सर्वत्र निरादर होता है। उसकी बुद्धि कुत्सित होती है।

16. कोहनी पर तिल: कोहनी पर तिल का पाया जाना विद्वता का सूचक है।

17. हाथों पर तिल: जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है। गुरु क्षेत्र में तिल हो तो सन्मार्गी होता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो बलवान और दायीं हथेली के पृष्ठ भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक खर्चीला तथा बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।

18. अंगूठे पर तिल: अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।

19. तर्जनी पर तिल: जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीड़ित होता है।

20. मध्यमा पर तिल: मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।

21. अनामिका पर तिल: जिस व्यक्ति की अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।

22. कनिष्ठा पर तिल: जिसकी  कनिष्ठा पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।

23. हथेली:जिसकी हथेली में तिल मुठ्ठी में बंद होता है वह बहुत भाग्यशाली होता है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रांति है। हथेली में होने वाला हर तिल शुभ नहीं होता कुछ अशुभ फल देने वाले भी होते हैं।

23. सूर्य पर्वत मतलब रिंग फिंगर: के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति समाज में कलंकित होता है। किसी की गवाही की जमानत उल्टी अपने पर नुकसान देती है। नौकरी में पद से हटाया जाना और व्यापार में घाटा होता है। मान- सम्मान पर प्रभावित होता है और नेत्र संबंधित रोग तंग करते हैं।

24. बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर : के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति को व्यापार में हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति हिसाब-किताब व गणित में धोखा खाता है और दिमागी रूप से कमजोर होता है।

25. लिटिल फिंगर: के नीचे वाला क्षेत्र जो हथेली के अंतिम छोर पर यानी मणिबंध से ऊपर का क्षेत्र जो चंद्र क्षेत्र कहलाता है, इस क्षेत्र पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में देरी होती है। प्रेम में लगातार असफलता मिलती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।

26. गले पर तिल:   गले पर तिल वाला जातक आरामतलब होता है। गले पर सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।

27. छाती पर तिल:  छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी स्त्री पूर्ण अनुरागिनी होती है। पुरुष भाग्यशाली होते हैं। शिथिलता छाई रहती है। छाती पर बायीं ओर तिल रहने से भार्या पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो तो वह सौभाग्यवती होती है।


28. कमर पर तिल : यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशानियों से घिरी रहती है।

29. पीठ पर तिल:  पीठ पर तिल हो तो जातक भौतिकवादी, महत्वाकांक्षी एवं रोमांटिक हो सकता है। वह भ्रमणशील भी हो सकता है। ऐसे लोग धनोपार्जन भी खूब करते हैं और खर्च भी खुलकर करते हैं। वायु तत्व के होने के कारण ये धन संचय नहीं कर पाते।

30. पेट पर तिल: माना जाता है कि पेट पर तिल हो तो व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान्न प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा कम रहती है।

31. घुटनों पर तिल:  दाहिने घुटने पर तिल होने से गृहस्थ जीवन सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है।

32. पैरों पर तिल: पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है। ऐसा व्यक्ति यात्राओं का शौकीन होता है। दाएं पैर पर तिल हो तो यात्राएं सोद्देश्य और बाएं पर हो तो निरुद्देश्य होती हैं।

33. समुद्र विज्ञान के अनुसार: जिनके पांवों में तिल का चिन्ह होता है उन्हें अपने जीवन में अधिक यात्रा करनी पड़ती है। दाएं पांव की एड़ी अथवा अंगूठे पर तिल होने का एक शुभ फल यह माना जाता है कि व्यक्ति विदेश यात्रा करेगा। लेकिन तिल अगर बायें पांव में हो तो ऐसे व्यक्ति बिना उद्देश्य जहां-तहां भटकते रहते हैं।

  साभार


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