रविवार, 10 मई 2020

कलयुग में हंस चुगेगा दाना पानी कौवा मोती खायेगा।

रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना पानी कौवा मोती खायेगा।

         यह कहावत चरित्रार्थ हो रही है। आज शराब के ठेके जल्दी खोले गए । शिक्षा के मंदिर और धार्मिक स्थल सब बंद हैं। यह कलयुग का ही प्रभाव तो है। देश को कमजोर करने में शराब गुटखा आदि का बहुत बड़ा हाथ है। नशे की हालत में ही अधिकतर अपराध होते हैं नशे की लत के कारण ही अधिकतर आपराधिक वारदातों को अंजाम भी दिया जाता है । यही कारण है नशा करने वाले लोग कराने वाले लोग ही आज के समय मे सफल  हैं कहते है जो काम 50 हज़ार की रिश्वत में होता है वह एक दारू पार्टी कर देती है। यह कल्पना नहीं है यह यथार्थ है।

गुटखा बीड़ी सिगरेट शराब से ही दोस्ती पक्की होती है यह प्रचलन सभी जगह देखा जा रहा है। 

अपने जीवन मे ने इन चीजों से दूरी बना कर रखी और इसके विरुद्ध अभियान भी जारी रखा । परिणाम वही है दूध बेच के वाले को घर घर जाना पड़ता है और शराब बेचने वाले की दुकान से लाइन खत्म नहीं होती।
यही सच्चाई है ।

     हाँ यह भी सत्य है इस कलयुग में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने इन सभी नशीली वस्तुओ से दूरी बनाई हुई है परंतु व्यवसायी वर्ग इन चीजों के बिना आगे बढ़ने में सफल नही हुआ होगा। 

यह भी सत्य है इस कलयुग में लोग अच्छे विचार धारा के ईमानदार प्रवृति के भी हैं। परंतु अधिकतर लोग अपनी ईमानदारी सिर्फ पैसे के लेन देन की ईमानदारी से तोलते हैं।

पैसे के लेन देन के अलावा यह देखें कि आप हृदय से कितने मानवीय हैं । आपके अंदर की मनुष्यता खत्म तो नहीं हो गयी । अपने अवगुणों को ढक कर दूसरे की गलतियों का बखान कर झुटा दिखावा तो नहीं कर रहे आप। खुद के कर्मो को देखें जीवन मे कितनो का भला किया है आपने । अपनी जान पर खेल कर कितनो की जान बचाई है।

कितने लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में कार्य किया है। परंतु शायद यह सब बातें व्यर्थ लग रहीं होंगी। क्योंकि अर्थ का जमाना है अर्थ यानी धन । धन ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है धन है तो संबंध अच्छे बने रहते हैं धन ही संबंध बिगाड़ता है।शायद आज मानवता का कोई मोल नही हैं । जो धन धान्य है वही महान है। 
 
भले ही धन संपदा से परिपूर्ण होते हुए भी वह आपकी मदद ना करे भले ही आपके फोन करने पर आपके मुसीबत में साथ ना दे परंतु वह धन संपदा से परिपूर्ण है वह सफल है आप नतमस्तक हैं । 
     मनुष्य का जन्म आपको मिला है तो आप उसका सही उपयोग कर पाए या । जानवरो की तरह सिर्फ अपना और अपने बच्चो का पेट भर कर जीवन निकाल दिया।
   लोगो को दिखाने के लिए बड़ी बड़ी धार्मिक सत्य असत्य की बातें की । पलटते ही फिर उसी योजना में लग गए कि और धन कहा से निकाला जाए। जिससे बेटे के लिए एक फ्लैट और लिया जाए। 
      समाज  में जो सबसे ज्यादा छल कपटी है वही आगे है। षड्यंत्र कारी यूं तो हर युग मे रहे है अपने षडयंत्रो से भले लोगो को लूटते खसूटते आये हैं और सत्यवादी हरिश्चंद जैसे लोग दुख भोगते रहे हैं । राजा हरिश्चन्द्र को तो राज पाठ वापस मिल गया था परंतु यहां बहुत सारे लोग ऐसे है जिन्हें न्याय नहीं मिल पाता । जलन द्वेष भाव रखने वाले घातक लोगो को भांप कर समय रहते उनका इलाज ना किया जाए तो ऐसे लोग घातक सिध्द होते हैं। समाज को दिखावे का ढोंग करते हुए यह लोग ऐसे परजीवी होते है हमेशा दूसरों पर ही जीवित रहते हैं दुसरो की बनाई धन संपदा को हड़पने का षड्यंत्र करते हैं ।

      कुल मिला कर आप अपने आसपास नजर डालिए जो जितना छल कपटी और बेईमान होगा वही इस कलयुग में चमक रहा होगा। ईमानदारी के दम पर बहुत कम लोग ही आगे बढ़ पा रहे हैं। यह बात अलग है लोग आत्मसंतुष्ट हैं। 

      कलयुग में पैसा ही सब कुछ है जिसके पास पैसा है उसके कर्म कैसे भी हों कोई उसपर उंगली नहीं उठा सकता । जो निर्धन है उसे बात बात पर ताने और घृणा का शिकार होना ही पड़ेगा। 

किसी के बारे में अपनी राय गलत बना लेने से पहले उस व्यक्ति का पक्ष सुनना भी जरूरी है । तब ही भले लोगो को षड्यंत्रों का शिकार बनाने वाले कलयुगी खूनी रिस्तेदारो की नीयत से पर्दा उठ सकेगा।

     हमने पिछले कुछ समय मे ऐसी अनेक परिवार सहित आत्महत्या की घटनाये देखी व सुनी है जिसमे परिवार के ही मुखिया ने अपने नन्हे बच्चो एवम पत्नी को जहर दे कर स्वयम भी आत्महत्या करली जिसके पीछे की वजह उनके रिस्तेदार और विशेषकर उनके भाई आदि द्वारा रचे गए षड्यंत्र रहे हैं।

मित्रो कमजोर लोगो की कोई नही सुनता जानते समझते हुए भी लोग सत्य का साथ नही दे पाते जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं लोगो को आत्महत्या का रास्ता ही चुनना पड़ता है।

    यह देखा गया है रिस्तेदार और पहचान के लोग जब तक व्यक्ति जीवित रहता है तब तक उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ पाते और ना ही किसी प्रकार की सहानुभूति या उसे बचाने का प्रयास कर पाते। जब यह घटनाये घटित हो जाती है तो जान पहचान के लोग शोक व्यक्त करते हुए यह भी सोचते हैं और बोलते हैं कि काश हमने उसकी बात सुनी होती समझी होती। हम उसे बचा लेते उसे यह कदम नही उठाना चाहिए था वह हमें बताता । 

        अपने लोगो की स्थिति परिस्थिति समझते हुए यथा संभव सहायता करनी चाहिए इसके लिए यह इंतज़ार कदापि नहीं करना चाहिए कि वह आपसे अपनी पीड़ा कहे या सहयोग मांगे तब ही आप उसके लिए कुछ सोचेंगे । कुछ बातें खुद भी समझनी चाहिए।

जो ऐसे आत्मघाती कदम उठाते हैं उनसे मेरा एक आग्रह है ऐसे षडयंत्रकारियो का षड्यंत्र सफल नही होने देना चाहिए । जीवन मे घबराना नहीं चाहिए कितने भी बुरे दिन हों। उनका डट कर मुकाबला करें। 

       हमने तो एक विशेष अभियान भी चलाया हुआ है अन्याय अत्याचार भरष्टाचार से जंग राष्ट्रीय जागरूक युवा संगठन भारत। हम सकारत्मकता के साथी हैं नकारत्मकता को खत्म ही नही करते वरन पूर्ण प्रयास यह होता है कि किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो न्याय अवश्य मिले उसके लिए हर संभव सहयोग भी करते हैं। 

    यह बात अलग है कि हम भी पिछले 12 वर्षों से ऐसे ही षड्यंत्र के शिकार हैं जिसका पता हमे 2 वर्ष पहले ही लगा है और इसी कारण हम अपने इस मिशन को आगे बढ़ाने में उतने सफल ना होपाये जो हो सकते थे।
एक तरफ देश दुनिया मे बुद्धिजीवियों को जोड़कर शक्तिशाली सन्गठन तैयार कर रहे थे युवाओ को जागरूक कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ मन में द्वेष भाव पाले यह खूनी रिस्ते हमें नष्ट करने का ताना बाना बुन रहे थे । कहीं ना कहीं हमे इसका आभास था परंतु हम अपने सकारत्मक रवैये से अब तक लड़ते रहे। 

     इस समय यह खून के रिस्ते कहे जाने वाले लोग हमारे खिलाफ चलाये जा रहे विशेष अभियान में सफल होते नजर आ रहे हैं। 

अरे मूर्खो 
  जाको राखे साइयां मार सके ना कोई
बाल ना बांका कर सके जो जग बैरी होय।

हां माना कलयुग है और अधिकतर हंस दाना ही चुग रहे है कौवा मोती खा रहे हैं 
हंस फिर भी हंस ही कहलाता है कौवा कितना भी मोती खाले वह कौवा ही रहता है। 

हम लड़ेंगे आखिरी सांस तक लड़ेंगे। दोषियों को दंड भी देंगे। न्याय भी प्राप्त करेंगे। अब तक का जीवन अपनो के लिए लड़े हैं अब अपने लिए भी लड लेंगे।

लड़ाई कानूनी होगी और ऐसी होगी कि एक मिसाल बनेगी पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी। 





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