#स्त्री_तंत्र_की_व्याख्या
नवम् अध्याय_( पांचवें और छठे वचन की व्याख्या समीक्षा सहित)
लेखिका- दीपिका माहेश्वरी बिजनोर
#विवाह #का #पांचवा #वचन
5. #स्वसद्यकार्ये #व्यहारकर्मण्ये #व्यये #मामापि #मन्त्रयेथा
#वामांगमायामि #तदा #त्वदीयं #ब्रूते #वच: #पंचमत्र #कन्या!!
(इस वचन में कन्या कहती जो कहती है, वह आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्व रखता है। वह कहती है कि अपने घर के कार्यों में, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मंत्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)
यह वचन पूरी तरह से पत्नी के अधिकारों को रेखांकित करता है। अब यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व पत्नी से मंत्रणा कर ली जाए तो इससे पत्नी का सम्मान तो बढ़ता ही है, साथ-साथ अपने अधिकारों के प्रति संतुष्टि का भी आभास होता है।
#विवाह #के #पांचवे #वचन #की #समीक्षा
इस वचन की समीक्षा मैं चर्चा के पायदान की महत्ता में विस्तृत रूप से कर चुकी हूं जिसने वह व्याख्या नहीं पढ़ी कृपया उसे पढ़ ले अब सिर्फ इतना ही कहूंगी की चर्चा या मंत्रणा की सफलता तभी संपन्न होती है जब आप स्त्री के विचारों को भी महत्व दें। स्त्री पर अपने विचार लादकर मंत्रणा को अंजाम देने का भी कोई फायदा नहीं। क्योंकि पुरुषों में यह बात कूट-कूट कर भरी होती है स्त्रियों में विचार विमर्श करने की अक्ल नहीं होते, इसलिए मंत्रणा करना जरूरी नहीं समझते इस कारण इस वचन पर भी सैकड़ों विवाह खंडित कहलाएंगे आज के परिपेक्ष में भी। चर्चा के पायदान की महत्ता के साथ-साथ एक बात और ध्यान देने योग्य है कि जिस अवस्था में पुरुष वर्ग स्त्री का जाना पसंद नहीं करता अपनी पत्नी के तौर पर, उस अवस्था में वह खुद भी जाने का अधिकारी नहीं होता। उदाहरण के तौर पर यदि उसे अपनी पत्नी मदिरा युक्त अवस्था में पसंद नहीं तो उस पुरुष को भी मदिरा पीने का अधिकार नहीं है वैसे भी हिंदू धर्म में मदिरा निषेध है।
#विवाह #का #छठा #वचन
6. #न #मेपमानमं #सविधे #सखीना #द्यूतं #न #वा #दुर्व्यसनं #भंजश्वेत
#वामाम्गमायामि #तदा #त्वदीयं #ब्रवीति #कन्या #वचनं #च #षष्ठम!!
(कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूं, तब आप वहां सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आपको दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)
लीजिए पांचवे वचन में मैंने कंडीशनली यह बात लिखी थी परंतु छठा वचन इसकी पुष्टि कर रहा है कि आपने हर प्रकार के दुर्व्यसनों से दूर रहने का वचन दिया है आज की परिपेक्ष का कटु सत्य यह है कि पढ़े लिखे नौजवान नशा आदि सभी दूर्व्यसनों से दूर रहते हैं लेकिन जो प्रौढ़ावस्था या वृद्ध अवस्था में पहुंच चुके हैं उन्होंने अपनी आधी जिंदगी नशे में बिताई है और जिन्होंने इस तरह का जीवन जिया है उन सभी के विवाह खंडित हैं।
#विवाह #के #छठे #वचन #की #समीक्षा
सच कहूं तो छटे वचन को पढ़कर हंसी आती है क्योंकि सच्चाई यही है कि नारी को नारी दिवस पर भी अपने मन से जीने की आजादी नहीं है
नारी दिवस की घटना है किसी शहर में नारी का सम्मान करने के लिए कुछ नारियों को बुलाया गया पुरुषों की तरफ से वहाँ पर उन्हें खूबसूरत तोहफो से नवाजा गया जब नाश्ते का कार्यक्रम शुरू हुआ तब पुरुषों ने उनकी आवभगत की तब कुछ स्त्रियां अपनी तबीयत की वजह से या किसी अन्य कारण से खाने में आनाकानी करने लगी तब पुरुष वर्ग में से एक शख्स ने कमेंट किया की एक तो बंदा खिलाने में मंढ़ रहा है और इसे नक्शे दिखाने से फुर्सत नहीं है और संग बैठे पतिदेव भी नजरें इस प्रकार नीचे कर लेते हैं जैसे उनकी खुद की पत्नी ने बहुत बड़ा जुर्म कर लिया हो
यही असली सच्चाई है नारी दिवस पर नारी के सम्मान की भारत में कुछ पुरुष नारी को इस्तेमाल करने की वस्तु समझते हैं वह भी अपनी विचारधारा के अकॉर्डिंग। नारी अपने मन से कोई डिसीजन लेना चाहे तो वह अपने पैरों से उसे कुचलने की क्षमता रखते हैं। यही भारतीय पुरुष का नजरिया है नारी के प्रति और कहा जाता है कि भारत से ज्यादा नारी का सम्मान कहीं नहीं होता।
ऐसी विचारधारा रखने वाले लोग जब अन्य स्त्री का सम्मान अपनी नजर में नहीं रख सकते तो वह लोग अपनी पत्नियों का सम्मान किस जगह पर करते होंगे? यह बहुत गंभीर मुद्दा है सोचने के लिए और इस तरह की सोच पर अपना जीवन व्यतीत करने वाले सभी पुरुषों का विवाह खंडित है।
स्त्रियों को सभी के सामने गाली गलौज कर देना स्त्रियों पर हाथ उठाना ऐसे पुरुष वर्ग अपनी जागीर समझते हैं ऐसे मानसिक रोगी पुरुषों के विषय में सोचने की क्या समाज को आवश्यकता नहीं?
नवम् अध्याय_( पांचवें और छठे वचन की व्याख्या समीक्षा सहित)
लेखिका- दीपिका माहेश्वरी बिजनोर
#विवाह #का #पांचवा #वचन
5. #स्वसद्यकार्ये #व्यहारकर्मण्ये #व्यये #मामापि #मन्त्रयेथा
#वामांगमायामि #तदा #त्वदीयं #ब्रूते #वच: #पंचमत्र #कन्या!!
(इस वचन में कन्या कहती जो कहती है, वह आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्व रखता है। वह कहती है कि अपने घर के कार्यों में, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मंत्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)
यह वचन पूरी तरह से पत्नी के अधिकारों को रेखांकित करता है। अब यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व पत्नी से मंत्रणा कर ली जाए तो इससे पत्नी का सम्मान तो बढ़ता ही है, साथ-साथ अपने अधिकारों के प्रति संतुष्टि का भी आभास होता है।
#विवाह #के #पांचवे #वचन #की #समीक्षा
इस वचन की समीक्षा मैं चर्चा के पायदान की महत्ता में विस्तृत रूप से कर चुकी हूं जिसने वह व्याख्या नहीं पढ़ी कृपया उसे पढ़ ले अब सिर्फ इतना ही कहूंगी की चर्चा या मंत्रणा की सफलता तभी संपन्न होती है जब आप स्त्री के विचारों को भी महत्व दें। स्त्री पर अपने विचार लादकर मंत्रणा को अंजाम देने का भी कोई फायदा नहीं। क्योंकि पुरुषों में यह बात कूट-कूट कर भरी होती है स्त्रियों में विचार विमर्श करने की अक्ल नहीं होते, इसलिए मंत्रणा करना जरूरी नहीं समझते इस कारण इस वचन पर भी सैकड़ों विवाह खंडित कहलाएंगे आज के परिपेक्ष में भी। चर्चा के पायदान की महत्ता के साथ-साथ एक बात और ध्यान देने योग्य है कि जिस अवस्था में पुरुष वर्ग स्त्री का जाना पसंद नहीं करता अपनी पत्नी के तौर पर, उस अवस्था में वह खुद भी जाने का अधिकारी नहीं होता। उदाहरण के तौर पर यदि उसे अपनी पत्नी मदिरा युक्त अवस्था में पसंद नहीं तो उस पुरुष को भी मदिरा पीने का अधिकार नहीं है वैसे भी हिंदू धर्म में मदिरा निषेध है।
#विवाह #का #छठा #वचन
6. #न #मेपमानमं #सविधे #सखीना #द्यूतं #न #वा #दुर्व्यसनं #भंजश्वेत
#वामाम्गमायामि #तदा #त्वदीयं #ब्रवीति #कन्या #वचनं #च #षष्ठम!!
(कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूं, तब आप वहां सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आपको दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)
लीजिए पांचवे वचन में मैंने कंडीशनली यह बात लिखी थी परंतु छठा वचन इसकी पुष्टि कर रहा है कि आपने हर प्रकार के दुर्व्यसनों से दूर रहने का वचन दिया है आज की परिपेक्ष का कटु सत्य यह है कि पढ़े लिखे नौजवान नशा आदि सभी दूर्व्यसनों से दूर रहते हैं लेकिन जो प्रौढ़ावस्था या वृद्ध अवस्था में पहुंच चुके हैं उन्होंने अपनी आधी जिंदगी नशे में बिताई है और जिन्होंने इस तरह का जीवन जिया है उन सभी के विवाह खंडित हैं।
#विवाह #के #छठे #वचन #की #समीक्षा
सच कहूं तो छटे वचन को पढ़कर हंसी आती है क्योंकि सच्चाई यही है कि नारी को नारी दिवस पर भी अपने मन से जीने की आजादी नहीं है
नारी दिवस की घटना है किसी शहर में नारी का सम्मान करने के लिए कुछ नारियों को बुलाया गया पुरुषों की तरफ से वहाँ पर उन्हें खूबसूरत तोहफो से नवाजा गया जब नाश्ते का कार्यक्रम शुरू हुआ तब पुरुषों ने उनकी आवभगत की तब कुछ स्त्रियां अपनी तबीयत की वजह से या किसी अन्य कारण से खाने में आनाकानी करने लगी तब पुरुष वर्ग में से एक शख्स ने कमेंट किया की एक तो बंदा खिलाने में मंढ़ रहा है और इसे नक्शे दिखाने से फुर्सत नहीं है और संग बैठे पतिदेव भी नजरें इस प्रकार नीचे कर लेते हैं जैसे उनकी खुद की पत्नी ने बहुत बड़ा जुर्म कर लिया हो
यही असली सच्चाई है नारी दिवस पर नारी के सम्मान की भारत में कुछ पुरुष नारी को इस्तेमाल करने की वस्तु समझते हैं वह भी अपनी विचारधारा के अकॉर्डिंग। नारी अपने मन से कोई डिसीजन लेना चाहे तो वह अपने पैरों से उसे कुचलने की क्षमता रखते हैं। यही भारतीय पुरुष का नजरिया है नारी के प्रति और कहा जाता है कि भारत से ज्यादा नारी का सम्मान कहीं नहीं होता।
ऐसी विचारधारा रखने वाले लोग जब अन्य स्त्री का सम्मान अपनी नजर में नहीं रख सकते तो वह लोग अपनी पत्नियों का सम्मान किस जगह पर करते होंगे? यह बहुत गंभीर मुद्दा है सोचने के लिए और इस तरह की सोच पर अपना जीवन व्यतीत करने वाले सभी पुरुषों का विवाह खंडित है।
स्त्रियों को सभी के सामने गाली गलौज कर देना स्त्रियों पर हाथ उठाना ऐसे पुरुष वर्ग अपनी जागीर समझते हैं ऐसे मानसिक रोगी पुरुषों के विषय में सोचने की क्या समाज को आवश्यकता नहीं?
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