*'सुमन साहित्यिक परी' समूह ने आयोजित की ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी*
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नजीबाबाद/मुरादाबाद, 29 जुलाई। प्रतिष्ठित साहित्यिक समूह 'सुमन साहित्यिक परी' (नजीबाबाद) की ओर से आज स्ट्रीम यार्ड पर, सावन को समर्पित एक ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका प्रसारण समूह के पेज दीपिका माहेश्वरी सुमन पर लाइव किया गया। जबलपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम में विभिन्न रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सावन की छटा बिखेरी। काव्य-पाठ करते हुए मुरादाबाद के रचनाकार राजीव 'प्रखर' सावन की रंगत पर कुछ इस प्रकार चहके - *"जब तरुवर की गोद से, खग ने छेड़ी तान। सावन चहका ओढ़ कर, बौछारी परिधान।। प्यारी कजरी साथ में, यह रिमझिम बौछार। दोनों मिलकर कर रहीं, सावन का शृंगार।"* नजीबाबाद की कवयित्री दीपिका माहेश्वरी 'सुमन' ने सावन का चित्र कुछ इस प्रकार उकेरा - *"सावन ले अंगङाइयाँ, उपवन हुआ निहाल। कोयल छेड़े रागिनी, मेघ मिलाये ताल।। बरस बरस बदरा करे, धरती का सिंगार। डाली-डाली कूकती, कोयल करे विहार।।"* मुरादाबाद से ही उपस्थित कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार थी - *"सारंगों का साथ ले, आया सावन मास। झूम उठे तरुवर हरे, करते पल्लव रास।। हरी-भरी धरती सजी, नीर बना उपहार। बूंदें रिमझिम गा रहीं, मनहू राग मल्हार।।* खण्डवा (म. प्र.) के सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्याम सुंदर तिवारी ने सावन की रंगत बढ़ाते हुए कहा - *"सावन का है आगमन, बछिया पहली ब्यात। मुनिया आनन्दित बहुत, दूध संग पा भात ।।भर सावन में भींग कर, पढ़ता निमवा श्लोक। हरी-भरी शाखें हुईं, अब काहे का शोक।।"* कोलकाता से उपस्थित हुए वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार दुबे ने कहा - *"आया सावन झूम के, रिमझिम पड़े फुहार। मन को अति भावन लगे, ठण्डी सुखद बयार।। उमड़-घुमड़ कर दौड़ते, बादल हैं चहुँ ओर। बिजुरी चमकत गगन में, होता अतिशय शोर।।"* जबलपुर से उपस्थित हुए वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' कार्यक्रम को और भी ऊँचाई पर ले जाते हुए कुछ इस प्रकार चहके - *"सावन में झूम-झूम, डालों से लूम-लूम, झूला झूल दुःख भूल, हँसिए हँसाइये। एक दूसरे की बाँह, गहें बँधें रहे चाह, एक दूसरे को चाह, कजरी सुनाइये.।।"* लखनऊ के वरिष्ठ रचनाकार देवकीनन्दन 'शांत' ने भी सावन के रंग में डूबकर अपनी तान कुछ यों छेड़ी - *"ऋतुएं आतीं और चली जातीं पर स्मृति श्रावण मास! बेल-पत्र, शिव लोन्ग, धतूरा,दुग्ध-धार की आस!!"* समूह-संस्थापिका तथा कार्यक्रम-संचालिका दीपिका माहेश्वरी 'सुमन'द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुँचा।
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