किसानों का मकसद प्रधानमंत्री को झुकना नहीं सिर्फ किसानो के साथ हो रहे अन्याय को रोकना है।
जो कृषि कानून बनाये गए है किसान उन्हें मंजूर नहीं करते मोदी जी को यह कानून थोपने नहीं चाहिए कोई और रास्ता निकालना चाहिए ।
हम शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि जब किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है अन्नदाता दुखी है परेशान है और इस तरह का आंदोलन करने पर मजबूर है तो सरकार को देश के किसान के हित में उसके सम्मान में यह कानून वापस ले लेने चाहिए इसे प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ना चाहिए । क्योंकि देश हित मे कार्य करना है देश की जनता से मिलकर चलना है।
यहां कुछ भक्त गण अपनी मर्यादा खो बैठते हैं। देश हित मे पार्टी भक्ति को एक ओर रख कर विचार किया करें ।
प्रधानमंत्री जी को सारे कानून देश की जनता के हित में बनाने चाहिए ना कि सिर्फ आगे देश की जनता लोकतंत्र को नष्ट कर सत्ता में बने रहने की लालसा को सार्थक करने के लिए।
जब आप दिल से देश सेवा में जुटेंगे तो देश आपको कैसे झुकने देगा और यदि आपकी नीतियों में अहंकार और द्वेष और दमन आदि चीजें परिलक्षित होंगी तो वहां पर विरोध होना स्वाभाविक है।
यह देश वही है जिसने ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंका है। मान प्रतिष्ठा यहां जान से ज्यादा प्यारी है।
आपके द्वारा लिए गए अनेक निर्णयों का स्वागत जनता ने हृदय से किया है भले ही इसके लिए जनता को बहुत से कष्ट झेलने पड़े हैं।
परंतु अब जनता को और ना दबाओ । सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए।
राष्ट्रीय जागरूक युवा संगठन भारत सदैव जाती धर्म से ऊपर उठकर देश सेवा के लिए कार्य करता आया है।
अपने धर्म की रक्षा करना उसे बढ़ाना हम सब का कर्तव्य है परंतु धर्म मे जाती में लोगो को बांट कर देश को कमजोर करने का कार्य ना करें अति किसी भी चीज की बुरी होती है । देश को एकता अखंडता से मजबूत बनाया जा सकता है। अपनी भाषा को मरायादित रखे।राजनीति को और ज्यादा दूषित ना करें ऐसी राजनीति ना करें जिससे देश की अस्मिता पर देश की अखंडता पर आंच आये।
जो बातें सही हैं उसका हम सदैव समर्थन करते है। जो गलत है उनका सदैव विरोध करेंगे।
आपकी गलत टिप्पड़ियों से आपके बुरे व्यवहार से हम पर कोई फर्क नहीं पड़ता । आपके विचार आपकी सोच किसी के अनुसरण से बने होंगे परंतु हमारे नहीं।
जो लोग मर्यादा और भाषा शैली पर नियंत्रण नहीं रख सकते वे स्वतः ही मित्रता सूची से बाहर जाएं।
आपके विचारों का सदैव स्वागत है। विचारो में भिन्नता हो सकती है परंतु विचारो को जबरन थोपने का प्रयास ना करें। इससे आपसी वैमान्यस्ता बढ़ती है।
जो ट्रेंड चल रहा है कि दूसरों को बेइज्जत करो और डराओ धमकाओ उसका अंत बुरा होगा अपने इस व्यवहार में सुधार लाने की जरूरत है।
सरकार को अपनी नीतियों में परिवर्तन करने की जरूरत सरकार को सिर्फ और सिर्फ उद्योगपतियों की कठपुतली बनकर नहीं रहना चाहिए अब जरूरत है ऐसे कदम उठाने की जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो। बिना किसी नए कानून के।
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